रवीश कुमार का प्राइम टाइम: सांप्रदायिक सद्भाव के नाम एक और नज्म
प्रकाशित: जनवरी 15, 2020 09:20 PM IST | अवधि: 3:38
Share
नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में हो रहे प्रदर्शन के बीच इसे लेकर कई तरह की नज्म लिखी जा रही हैं. कई ऐसी नज्मों को प्रदर्शन के दौरान या सोशल साइट्स पर साझा भी किया गया है जिसे काफी सराहना मिल रही है. इस कानून के खिलाफ कवियित्री और पत्रकार अतिका अहमद फारूकी ने भी एक ऐसी ही नज्म लिखी. अतिका ने अपनी नज्म को एनडीटीवी के साथ साझा भी किया.