प्रकाशित: जुलाई 11, 2018 09:51 PM IST | अवधि: 7:44
Share
समलैंगिक रिश्तों को अवैध ठहराने से जुड़ी धारा 377 पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ताओं की मांग है कि गे और लेस्बियन रिश्तों को मौलिक अधिकारों के दायरे में लाया जाए. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल ये है कि क्या धारा 377 मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है. सुप्रीम कोर्ट में चल रही इस बहस पर समलैंगिक समुदाय के लोगों की क़रीबी निगाह है. हमारे समाज की मौजूदा व्यवस्था समलैंगिकों के प्रति पक्षपात से भरी है, और धारा 377 ने भी उनका जीना दूभर कर दिया है.