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प्राइम टाइम : क्या फ़र्ज़ी मुठभेड़ करने वालों को सज़ा मिल पाती है?

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बिना किसी कसूर जब कोई आतंकवादी बताकर मार दिया जाए, बीस-बीस साल तक जेलों में सड़ा दिया जाए तो आपकी प्रतिक्रिया पुलिस और सिस्टम को लेकर होनी चाहिए या मरने या छूटने वाले के मज़हब के हिसाब से होनी चाहिए. ऐसा क्यों होता है जब कोई आमिर, निसार, फाज़िली 20-20 साल तक आतंक के फर्जी केसों में जेल में सड़ा दिया जाता है और जब बेगुनाह छूटते हैं तो हमारी राजनीति मुंह मोड़ लेती है.



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