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रवीश कुमार का प्राइम टाइम: पानी की भारी किल्लत झेल रहा है चेन्नई

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नीति आयोग का कहना है कि 2020 यानी अगले साल तक ही देश में 21 बड़े शहरों में भूमिगत जल लगभग ख़त्म हो जाएगा. अब सोचिए इनमें से आप किन शहरों में रह रहे हैं. आंकड़े बता रहे हैं कि देश में साठ करोड़ लोग यानी क़रीब आधी आबादी उन इलाकों में रहती है जहां पानी की भयानक किल्लत है. भूमिगत जल का दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल भारत में होता है यानी जितने भूमिगत जल का इस्तेमाल पूरी दुनिया करती है उसका 24 फीसदी अकेले हम करते हैं. यही वजह है कि 2000 से 2010 के बीच भारत में भूमिगत जल में गिरावट की दर 23% रही. जो उसके अगले दशक में और भी ज़्यादा हो गई होगी. इसके आंकड़ों का हमें इंतज़ार है. जब बारिश के पानी को हम बचाएंगे नहीं तो भूमिगत जल को ही इस्तेमाल करेंगेऔर अब तो इसके रिचार्ज होने के कुदरती रास्तों को भी हमने ईंट कंक्रीट से भर दिया है या फिर तालाबों, झीलों को पाट कर कॉलोनियां काट दी हैं. देश भर में यही हाल है.चेन्नई भी इसी वजह से पानी की भयानक मार झेल रहा है. ये वही चेन्नई है जहां 2015 में भयानक बाढ़ आई थी. तब भी हमने एक रिपोर्ट की थी और अब एक रिपोर्ट उमा सुधीर और सैम डेनियल की.



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