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भीमा-कोरेगांव हिंसा में गिरफ्तारियों पर उठे सवाल

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भीमा-कोरेगांव हिंसा के मुद्दे पर पुलिस ने जिस तरह कार्रवाई कर जून और अगस्त के महीनों में गिरफ़्तारियां कीं उन पर सवाल खड़े हो रहे हैं.आरोप लग रहे हैं कि गिरफ़्तारियां उन लोगों की हुईं जो वामपंथी रुझान के हैं और कट्टर दक्षिणपंथी ताक़तों का विरोध करते हैं. पुलिस का दावा है कि एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा को भड़काने के लिए ठीक एक दिन पहले एलगार परिषद की बैठक में दिए गए भड़काऊ भाषण ज़िम्मेदार हैं.एलगार परिषद में वामपंथी और अंबेडकवादी गुटों के लोग शामिल हुए थे.एनडीटीवी ने एलगार परिषद में दिए इन भाषणों को क़रीब से देखा और सुना.पता लगा कि ऐसा कुछ इनमें कहा ही नहीं गया जिससे हिंसा भड़कती हो.



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