NDTV Khabar

रवीश कुमार का प्राइम टाइम : लोकतंत्र के पैमाने पर भारत का रैंक क्यों गिरा

 Share

पूरी दुनिया में भारत की पहचान का अगर कोई ब्रांड अंबेसडर है तो वह भारत का लोकतंत्र है. लोकतंत्र हमारी पहचान का परचम रहा है. दमखम रहा है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रास्ते में चुनौतियां आईं हैं मगर यहां के लोग जो कभी स्कूल नहीं गए, जिन्हें कभी सिस्टम से कुछ नहीं मिला, जो हर तरह की तकलीफ में रहे हैं, वैसे लोगों ने भी लोकतंत्र के झंडे को नीचे नहीं झुकने दिया है. 1947 में हम एक ग़रीब मुल्क के रूप में आज़ाद हुए. जब बंटवारे के कारण लाखों लोग एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हो गए तब भी संविधान सभा के हमारे बुज़ुर्ग सोच समझ कर संवाद करते हुए संविधान की रचना कर रहे थे. हम बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं थे जब 1950 में संविधान लागू किया. हम कोई सुपर पावर नहीं थे जब 1951 में पहला चुनाव हुआ. आपातकाल आया तो हर ग़रीब लोकतंत्र के लिए लड़ गया. जेलें भर गईं. उस लड़ाई के नाम पर अपनी राजनीति बनाने वालों के दौर में भारत का लोकतंत्र डेमोक्रेसी इंडेक्स यानी लोकतंत्र के सूचकांक पर 10 अंक नीचे गिर गया है.



Advertisement

 
 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com