आखिर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गर्वनर की क्या ज़िद रही होगी कि वे हफ्ते भर से मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों से नहीं मिल रहे हैं. जबकि उनसे मिलने के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री धरने पर हैं. क्या एलजी संवाद की संवैधानिक मर्यादाओं से भी ऊपर हैं. क्या उन्हें पता है कि वे कैसी परंपरा की बुनियाद डाल रहे हैं. आखिर 19 फरवरी की उस घटना की जांच का क्या हुआ जिसके विरोध में आई ए एस अधिकारी कथित रूप से हड़ताल पर हैं.
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