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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : क्या किसान आंदोलन ‘अंदर की बात’ है?

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आप देख रहे हैं भारत का पहला और एकलौता आंतरिक समाचार. आत्मनिर्भर भारत का ये पहला आंतरिक समाचार है. हम एक आंतरिक लोकतंत्र हैं तो समाचार भी आंतरिक होना चाहिए. ये वो समाचार है जो आंतरिक “का” होगा. ये वो समाचार है जो आंतरिक “के” लिए होगा. ये वो समाचार है जो केवल आंतरिक के “द्वारा” होगा. इसे देखने के लिए हर भारतीय को आंतरिक होना होगा. गैर आंतरिक जैसे इन लोगों के लिए आंतरिक समाचार नहीं होगा. रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग, जेमी मार्गोलिन, इल्हान ओमर, हाले स्टीवेंस, मारिया अबी हबीब, शवॉन हेन्यू, जेरी डायर, स्टीव कोहेन, क्लॉडिया वेब, जॉन क्यूज़ैक, अन्नालिसा मेरिली, केल ब्रूक, मेहदी हसन, मीना हैरिस, मिया खलीफा, ये लोग आंतरिक समाचार नहीं देख सकेंगे. देख भी लेंगे तो समझ नहीं पाएंगे क्योंकि प्राइम टाइम हिन्दी में आता है. एक बार मेरे स्वप्न में नीम के पेड़ ने मुझसे कहा कि वत्स हिंदी में बोलने से तुम आंतरिक ही रह जाओगे, इंग्शिल बोलो तुम अंतर्राष्ट्रीय हो जाओगे. बहुतों के स्वप्न में तो देवता आ जाते हैं हिन्दी के पत्रकार के स्वपन में नीम के पेड़ ने दर्शन दिया यह भी कम बड़ी बात नहीं है. फिर भी मैंने कहा हे नीम के पेड़ मैं आंतरिक ही सुखी हूं.



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