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प्राइम टाइम : ग़रीबों के लिए हमारे दिल में कितनी जगह?

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शहर वही सबसे अच्छा होता है जो सबके लिए होता है. जिसकी हर जगह पर सबका दावा होता है. मुंबई को लोगों ने बनाया क्योंकि मुंबई पर सबका दावा था. दावा है. मुंबई के फुटपाथ की कहानी फिल्मों में और साहित्य में घर के रूप में आती है, एक ठिकाने के रूप में जहां से उठकर कोई आसमान में सितारा बन जाता है. श्री 420 से लेकर दीवार और तेजाब. न जाने कितनी फ़िल्में हैं. जब उसी मुंबई में कोई अपनी दुकान के बाहर खाली जगह में लोहे कीलें लगवा दे, तो वह कील मुंबई की आत्मा में ठोंक देता है. तभी जब ट्विटर पर कील की तस्वीर आई तो उन लोगों को सदमा लगा जो मुंबई की आत्मा में यकीन रखते हैं.



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