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प्राइम टाइम : क्या बाबा को राज्य मंत्री बनाना ठीक है?

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कभी फुर्सत हो तो सोचिएगा कि चुनाव आते ही नेता मठों और बाबाओं के यहां दौरे क्यों करते हैं, क्या चुनाव के बाद ये बाबा लोग आपकी नौकरी से लेकर शिक्षा की समस्या को लेकर संसद से लेकर सड़क पर आवाज़ उठाते हैं, मेल मुलाकात के लिए आना जाना तो ठीक है लेकिन क्या यह फॉर्मूला बन गया है कि आपका संबंध जिन बाबाओं से हैं, उनके इशारे पर ही आप किसी को वोट देंगे. अगर ऐसा है तो समस्या आपके साथ है. आप जनता होने के अपने अधिकार को गंवा रहे हैं. चुनाव के वक्त में आपको फैसला करना है, न कि आपके बदले किसी बाबा को करना है. ठीक से सोचेंगे तो देख पाएंगे कि आप वोट को ठेके पर देते जा रहे हैं. जब जनता नहीं रहेंगे तो क्या होगा, इसका नज़ारा आपने अलग अलग मौके पर देखा होगा कि आप अपनी मांग को लेकर चीख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं, सड़क पर पुलिस की लाठी खा रहे हैं मगर कोई बाबा आपके लिए नहीं आता है. मध्य प्रदेश सरकार ने पांच बाबाओं को राज्य मंत्री बना दिया गया है. आप अफसोस कर सकते हैं कि इन्हें कैबिनेट क्यों नहीं बनाया गया. राज्य मंत्री बनकर ये जनता का काम करेंगे या सुख सुविधा भोगेंगे पता नहीं है. भय्यू महाराज, योगेंद महंत नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज और कंप्यूटर बाबा. किसी बाबा ने कंप्यूटर का आविष्कार नहीं किया मगर कंप्यूटर के नाम से बाबा ज़रूर हुए हैं.



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