कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का एक माह पूरा हो गया है. सरकार ने भी अपने सम्मेलन-आंदोलन का एक जाल फैला दिया है. किसान आंदोलन अपनी दीवार ऊंची करने में लगा हुआ है. किसान आंदोलन का मुकाबला सूचना तंत्र से भी है, यही वजह है कि किसानों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी कहा गया. सरकार के प्रचार युद्ध के जवाब में किसान भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हुए और अखबार भी निकाला. सबसे अहम बात है कि महिलाएं भी आंदोलन में कूद पड़ी हैं.महिलाएं न केवल लंगर लगा रही हैं, बल्कि अखबार निकालने के साथ आंदोलन में अपने भाषण भी दे रही हैं. अपना चैनल भी चला रही हैं. रात में सारी मुश्किलें भी झेल रही हैं. महिलाओं द्वारा घर-परिवार संभालने के साथ खेती में वक्त बिताने के बावजूद किसानों के नाम पर पुरुष ही सामने आते हैं. लेकिन इस बार किसान आंदोलन के मजबूत इरादों का चेहरा बनकर तमाम महिलाएं उभरी हैं.
Advertisement
Advertisement