आज कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर से बातचीत शुरू करते हैं. 100 साल पहले जब वो प्रकृति के बीच शिक्षा का नया प्रयोग कर रहे थे और तरह-तरह के उत्सवों की कल्पना कर रहे थे, तब उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा होगा कि 100 साल बाद उनके शांति निकेतन को उनके विश्व भारती को बिल्कुल चुनावी राजनीति का मुद्दा बनाया जाएगा. देखिए 'प्राइम टाइम' नगमा सहर के साथ...
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