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प्राइम टाइम : ये लोकतंत्र नहीं आसां... | पढ़ें

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सरकार और नागरिक का रिश्ता बड़ा ही नाज़ुक होता है। विश्वास का भी होता है और अविश्वास का भी। समर्थन का भी होता है और विरोध का भी। मांग का भी होता है और इनकार का भी। आप एक नागरिक के तौर पर जब भी कभी कहीं धरना-प्रदर्शन देखते हैं तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होती होगी। मुझे ठीक-ठीक तो नहीं मालूम... मगर कई लोग मिलते हैं जो इनसे सहानुभूति रखते हैं और कई लोग मिलते हैं जो इनका मजाक भी उड़ाते हैं।



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