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रवीश कुमार का प्राइम टाइम: विकास के लिए विनाश कितना सही?

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भारत के शहरों में भी पेड़ों को लेकर आंदोलन होने लगा है. पिछले साल जब दिल्ली के सरोजिनी नगर में 11000 पेड़ काटे जाने थे तब लोग बाहर निकले और पेड़ों को बाहों में भर लिया. कई संगठन भी साथ आए. इसी तरह का आंदोलन इन दिनों मुंबई में चल रहा है. आरे में मेट्रो का शेड बनना है जिसके लिए 2702 पेड़ काटे जाने है. कुछ लोग जिसमें फिल्म अभिनेता भी शामिल हैं, विकास के नाम पर यानि मेट्रो की खूबियों के नाम पर पेड़ों के काटे जाने का समर्थन कर रहे हैं. वही तर्क विकास के लिए विनाश ठीक है. आरे मिल्क कालोनी मुंबई में है. संजय गांधी नेशनल पार्क के पास है. इलाके के हिसाब से समझें तो पवई से लेकर गोरे-गांव तक यह फैला हुआ है. जिसमें चार लाख से अधिक पेड़ है. आरे को मुंबई का आख़िरी फेफड़ा कहा जाता है. बीएमसी चाहती है कि यहां 2702 पेड़ काटे जाएं ताकि मेट्रो योजना के लिए शेड बन सके. जैसे ही फैसले की खबर पहुंची पहले वनशक्ति के स्टालिन दयानंद कोर्ट पहुंच गए. उनके साथ ज़ोरू भथेना भी थे. अदालत ने 30 सितंबर तक रोक लगा दी है लेकिन मुंबई में पेड़ बनाम मेट्रो को लेकर बहस हो रही है.



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