रवीश कुमार का प्राइम टाइम: NRC-अगर कागज दिखाना पड़े तो क्या होगा?
प्रकाशित: फ़रवरी 19, 2020 09:00 PM IST | अवधि: 29:42
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अभी तो माहौल जम ही रहा था कि अमरीका से राष्ट्रपति ट्रंप का जहाज उड़ेगा और न्यूज चैनलों पर ईवेंट कवरेज का मजमा जमेगा. सूत्रों के हवाले से खूब हलवे बनाए जाएंगे, कुछ बातों का पता होगा, कुछ का पता ही नहीं होगा, लेकिन तभी आज ट्रंप साहब ने होली जैसे बन रहे मूड को बिगाड़ दिया. उन्हें सोचना चाहिए था कि हम कुछ न पता चले उसके लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं, जबकि हमें पता है कि ट्रंप साहब के पास ड्रोन कैमरा है. इसके बाद भी हमने दीवार बनाई ताकि इन गरीबों का घर न दिखे. अब ट्रंप साहब कार से उतरकर ड्रोन तो उड़ाएंगे नहीं. इस दीवार से अलग एक और दीवार है. मोटेरा स्टेडिम की तरफ. उस बस्ती की दीवार को रंगा जा रहा है. ईस्टमैन कलर वाले लुक में. ट्रंप और मोदी जी के नीचे 'यू एंड आई' यानी 'आप और मैं' लिखा है. इस लेवल की हम नज़दीकी दिखा रहे हैं और ट्रंप साहब कह रहे हैं कि भारत का व्यवहार ठीक नहीं है. उधर, असम की जाबेदा 15-15 प्रकार के दस्तावेज़ देकर साबित नहीं कर पाईं कि कैसे वे उसी मां बाप की संतान हैं, जिन्हें वे अपनी अम्मी और अब्बा कहती हैं. असम में नागरिकता साबित करने के लिए साबित करना होता है कि 1971 से पहले वह या उसके मां बाप रहते रहे हैं. जो लोग 1971 के बाद पैदा हुए हैं उन्हें पैन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र दिखाने होते हैं, ताकि वे साबित कर सकें कि उन पूर्वजों से नाता है जो 1971 से पहले रहते आए हैं. 50 साल की जाबेदा अपने मां बाप से नाता साबित नहीं कर पाईं.