जितने स्पष्ट किसान थे कि कोर्ट की कमेटी में नहीं जाना है. उतना ही स्पष्ट कोर्ट था कमेटी बनानी ही है. सरकार भी चाहती थी कि कमेटी बन जाए, लेकिन वह कानून के लागू होने पर रोक लगाना नहीं चाहती थी. कोर्ट ने कहा है कि हम कमेटी अपने लिए बना रहे हैं. जब किसान कह रहे हैं कि वे बात नहीं करेंगे तो कमेटी क्या करेगी. क्या कमेटी के लिए कानूनों के समर्थक खोजकर लाए जाएंगे. कमेटी अगर सिफारिश करेगी कि कृषि कानून लागू रहें या रद्द किए जाएं तो सुप्रीम कोर्ट इसे मानेगा.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कोई भी ताकत उसे कृषि कानूनों के गुण और दोष के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने से नहीं रोक सकती. समिति बताएगी कि कानून के किन प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए और फिर वह कानून से निपटेगी, हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं.
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