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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : कृषि कानूनों को लेकर क्यों अड़ी है सरकार?

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पंजाब और हरियाणा (Punjab and Haryana) के किसी भी कोने से आप 8-10 घंटे में दिल्ली पहुंच सकते हैं लेकिन किसानों (Farmers) को दिल्ली के लिए निकले 144 घंटे हो गए दिल्ली नहीं पहुंच सके. किसान अगर हर हाल में दिल्ली आना चाहते हैं तो सरकार भी किसी भी हाल में दिल्ली नहीं आने देना चाहती है. सीमेंट के बड़े बड़े बोल्डरों को देख कर अंदाज़ा हो जाना चाहिए कि सरकार कंटीले बैरिकेड से लेकर सड़कों में गड्ढे खोद देने की आलोचना से पीछे नहीं हटी है. आज इसी तरह दिल्ली की सीमाओं को फिर से सख़्त कर दिया गया जैसे ही किसानों ने एलान किया कि अगर दिल्ली में नहीं घुसने दिया जाएगा तो वे भी दिल्ली में घुसने रास्तों का घेराव करेंगे. रविवार को किसानों ने गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की बातचीत का प्रस्ताव ठुकरा दिया. कहा कि बातचीत से पहले ऐसी शर्त क्यों कि किसानों को पहले बुराड़ी में जमा होना होगा. किसानों को आशंका थी कि सरकार किसानों को बुराड़ी में जमा कर जेल में बदल देगी. उन्होंने कह दिया कि वे बुराड़ी पार्क नहीं जाएंगे और दिल्ली आने वाले सभी रास्तों का घेराव करेंगे. सोनीपत, रोहतक, जयपुर, ग़ाज़ियाबाद-हापुड़ और मथुरा से दिल्ली आने के रास्ते को जाम कर देंगे. इसे देखते हुए रविवार शाम को सूत्रों के हवाले से ख़बर आई कि बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा के घर गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की बैठक भी हुई. सुबह होते ही किसान दिल्ली आने के रास्तों पर जमा होने लगे. प्रकाश परब उनका इसी तरह बीता. अपने मुद्दे के लिए लड़ते हुए.



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