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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : कोरोना पर न्यूयार्क और ब्रिटेन के डॉक्टरों से बातचीत

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ऑस्ट्रेलिया के चीफ मेडिकल ऑफिसर ने कहा है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या और मरने वालों की सही संख्या अबतक दुनिया के सामने नहीं है. क्योंकि कई देश इस संख्या को छिपा रहे हैं और बहुत कम टेस्ट कर रहे हैं. अगर कम टेस्ट कर रहे हैं तो सही संख्या हमारे सामने नहीं है. उनके अनुसार दुनिया में इस समय कोरोना के मरीजों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा होनी चाहिए. लेकिन जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार दुनिया भर में अबतक ये आंकड़ा 10 लाख को पार कर गई है, लेकिन ये संख्या 1 करोड़ नहीं है. ये भी खबर है कि मरने वालों की संख्या जरुर बढ़ रही है लेकिन अमेरिका, इटली, स्पेन में इस बीमारी के बढ़ने के आंकड़ों में गिरावट आयी है. लेकिन ये कहा नहीं जा सकता है कि यह गिरावट स्थायी है. हो सकता है इसमें अचानक से तेजी आ जाए. इस बीमारी को लेकर अमेरिका, इटली, स्पेन के अधिकारी या नेता जब जनता के सामने आते हैं तो एक-एक डेटा सामने रखते हैं. स्पेन में इस बीमारी के कारण बेरोजगारी बढ़ा है. अमेरिका के आंकड़ों को आप पटना या भोपाल में भी बैठ कर देख सकते हैं कि पिछले हफ्ते कितने लोगों की नौकरी चली गयी.एक करोड़ लोगों ने अमेरिका में बेरोजगारी भत्ता के लिए आवेदन किया है. ज्यादातर लोगों की नौकरी मार्च के महीने में ही गई है. अमेरिका के इतिहास में एक साथ इतनी नौकरी कभी नहीं गयी थी. पिछले पांच साल में जितनी नौकरी आयी थी वो एक सप्ताह में चली गयी.



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