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प्राइम टाइम: बढ़ती बेरोज़गारी का सवाल क्यों नहीं उठता?

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न्यूज़ चैनलों के बनाए हुए दर्शकों की दुनिया में जब लोगों को समस्या होती है तो उन लोगों का नाम दर्शकों के बहीखाते से काट दिया जाता है. आप देखेंगे कि सारी बहस दो दलों के नेताओं के आस-पास घूम रही है और लोगों की आवाज़ किसी के आस-पास नहीं पहुंच रही है. आज आप इन लोगों में नहीं है लेकिन जब भी आप अपनी समस्या लेकर लोग बनेंगे यानी सड़क पर आएंगे, मीडिया को खोजेंगे तो आपके लिए कोई नहीं आएगा. जो बदल चुका है, उसे नोटिस करना भी आपका काम है. रविवार को दिल्ली में कई प्रदर्शन हुए. उन प्रदर्शनों में लोग मीडिया को खोजते रहे. घर जाकर चैनलों पर ख़ुद को खोजते रहे. उम्मीद है जनता ने जनता का हाल देखा होगा. जंतर मंतर या रामलीला पर लोगों का आना अब किसी के लिए ख़बर नहीं है मगर ख़बर ये है कि लोग फिर भी आ रहे हैं. चैनलों के लिए नहीं बल्कि जनता बने रहने के लिए सड़कों पर आ रहे हैं.



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