NDTV Khabar

रवीश कुमार का प्राइम टाइम : हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार चुपचाप क्यों?

 Share

मान लीजिए दिल्ली या न्यू जर्सी के स्कूल में फीस बढ़ती है. आदेश आता है कि सबको बैक डेट से बढ़ी हुई फीस देनी होगी. यानी जो बच्चा दसवीं में है वो पहली से लेकर दसवीं क्लास की फीस के हिसाब से कई लाख रुपये बढ़ी हुई फीस देगा. अब इस सवाल का जवाब न्यू जर्सी वाले या टेक्सास वाले नॉन रेज़िटेंड इंडियन भी दें और दिल्ली में रहने वाले इंडियन भी कि इस आदेश को सुनते ही उनकी पहली प्रतिक्रिया क्या होगी. ज़ाहिर है आप मंत्री संतरी को टैग करेंगे और कहेंगे कि ये क्या हो रहा है. फिर ट्विटर पर ट्रेंड करेंगे. आपमें से जिस किसी को यह लग रहा है कि ऐसा इंडिया में हो ही नहीं सकता उसे ये ख़बर ध्यान से सुननी चाहिए. ख़बर है उत्तराखंड की. वहां पर एक अक्टूबर से क़रीब दो हज़ार छात्र ऐसी ही फीस वृद्धि के आदेश के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. कब से? 1 अक्टूबर से. दरअसल वे 2015 से ही फीस वृद्धि के इस नायाब आदेश के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. लड़ाई लड़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बाक़ायदा एक गाइडलाइन बनाई है कि फीस बढ़ाने की प्रक्रिया क्या होगी लेकिन उसकी अनदेखी करते हुए फीस बढ़ा दी गई. आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के छात्रों से कहा गया कि वे 80000 सालाना की जगह अब दो लाख 15 हज़ार रु दें. अगर तीसरे साल में हैं तो पहले और दूसरे साल का भी दें. इस तरह तीसरे साल के छात्र को 3 लाख से अधिक फीस देनी पड़ गई. छात्रों को ग़लत लगा तो वे विरोध करने लगे.



Advertisement

 
 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com