रवीश कुमार का प्राइम टाइम : भारत में मेडिकल परीक्षा सिस्टम इतना लचर क्यों?
प्रकाशित: अक्टूबर 17, 2019 09:00 PM IST | अवधि: 34:39
Share
अगर आप छात्र हैं और किसी परीक्षा सिस्टम से गुज़र रहे हैं तो आपको मालूम है कि यहां सिर्फ परीक्षा ही नहीं देनी होती है. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश हो, और आप किसी भी नॉन रेज़िडेंट इंडियन से पूछ सकते हैं, जहां परीक्षाओं को लेकर धांधली की इतनी ख़बरें आती हैं. मैं करीब दो साल से इस तरह के विषयों पर प्राइम टाइम कर रहा हूं. मद्रास हाई कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं, उससे भारत में मेडिकल परीक्षा सिस्टम की पोल खुल जाती है. दुआ करने पर तो भारत में शिक्षक सस्पेंड हो जाता है इसलिए आप प्रार्थना ही कर लीजिए कि कैसे कैसे लोग डॉक्टर बन रहे हैं. बशर्ते प्रार्थना से यह सिस्टम ठीक हो जाता है तो. इस साल तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले सभी मेडिकल छात्रों का फिंगर प्रिंट लिया जाएगा. इस साल राज्य के प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों में 4250 छात्रों ने एडमिशन लिया था. इन सबी ने National Eligibility-cum-Entrance Test (NEET) की परीक्षा पास की थी. ऑल इंडिया टेस्ट है ये. मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन किरुबकरण और पी वेलमुरुगन की खंडपीठ ने यह फैसला दिया है. कोर्ट ने National Testing Agency से कहा है कि सभी छात्रों के अंगूठे के निशान सीबीसीआईडी को दे, जो जांच कर रही है ताकि यह सत्यापित हो सके कि एडमिशन लेने वाले छात्रों ने ही परीक्षा दी थी. उनकी जगह किसी और ने नहीं.