रणनीति: SC के फ़ैसले के बाद दिल्ली का असली बॉस कौन?
प्रकाशित: जुलाई 04, 2018 08:00 PM IST | अवधि: 32:10
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दिल्ली सरकार और एलजी के बीच अधिकारों के टकराव पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया है. पहली बात ये कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि चुनी हुई सरकार को फ़ैसले करने का हक़ है. राज्य सरकार के फ़ैसले एलजी पर बाध्यकारी हैं. एलजी अगर कुछ फ़ैसलों से असहमत हों तो राष्ट्रीय हित में उन्हें राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं.
इससे लगता है कि जीत AAP की हुई, दिल्ली आप की हुई, लेकिन इसका एक और पहलू है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, विशेष दर्जे वाला केंद्र शासित प्रदेश ही है. यहां एलजी राज्यपाल नहीं हैं, बल्कि प्रशासक हैं. ज़मीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था LG के ही पास रहने वाली है. अब हालत ये है कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों इस फैसले को अपनी जीत बता रहे हैं. केजरीवाल ने इस फ़ैसले को जनता की जीत बताया है तो बीजेपी इसे केंद्र सरकार की जीत. तो सवाल है कि इस फ़ैसले के बाद दिल्ली का असली बॉस कौन है? इस फ़ैसले से दिल्ली सरकार में क्या-कुछ बदलेगा? क्या एलजी मनमानी कर रहे हैं और ये मनमानी अब रुक जाएगी? या केजरीवाल पर अराजकता का जो आरोप लगता है, वो और बड़ा हो जाएगा? केजरीवाल अब धरना बंद कर काम करेंगे?