दिल्ली की राजनीति में शीला दीक्षित का आना एक संयोग था. वे कन्नौज से सांसद हुआ करती थीं. यूपी में पुलिस ज्यादतियों का विरोध करते हुए उन्होंने एक बार कुछ दिन की जेल भी काटी. 1998 में वो पूर्वी दिल्ली का लोकसभा चुनाव हार गई थीं. लेकिन उसी साल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जीती और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बना दी गईं. इसके बाद अगले 15 साल कोई उनकी कुर्सी नहीं हिला सका. लेकिन जब लोकपाल के पक्ष में, और केंद्र सरकार की नाकामी के ख़िलाफ़ अण्णा का आंदोलन चला और आम आदमी पार्टी पैदा हुई तो लगा कि शीला दीक्षित और उनकी सरकार दोनों बुरी तरह हारीं. तब तक 75 को छूने जा रही शीला दीक्षित की वापसी की उम्मीद कम लोगों को रही होगी. लेकिन 80 पार की शीला दीक्षित फिर से मैदान में हैं. उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ रही हैं. उनके चुनाव प्रचार का जायज़ा लिया हमारे सहयोगी सौरभ शुक्ला ने.
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