रवीश की रिपोर्ट: अगर गठबंधन हुआ तो कांग्रेस-AAP को होगा फ़ायदा?
प्रकाशित: मार्च 19, 2019 10:00 PM IST | अवधि: 15:20
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चुनाव से पहले गठबंधन का डर दिखाया गया. एक पार्टी की सरकार को सबसे बेहतर बताया गया. मगर अब ऐसा लगता है कि गठबंधन बनाने की होड़ मची हुई है. ऐसा लगता है कि गठबंधन से बेहतर तो कुछ भी नहीं है. गठबंधन बनाने में बीजेपी सबसे आगे निकल गई है. 30 से अधिक दलों से गठबंधन करने में बड़े दलों की आत्मीयता निकर रही है. यहां तक कि बीजेपी ने बिहार में अपनी जीती हुई सीट छोड़ दी. सबको बिना वीज़ा और पासपोर्ट के पाकिस्तान भेजने वाले गिरिराज सिंह की सीट चली गई. महाराष्ट्र में पांच साल तक विरोध करने वाली शिवसेना की हर बात मान ली. असम में असम गण परिषद को मनाने के लिए सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट की बात तो अब बात ही नहीं हो रही है. आपको याद होगा राजस्थान मध्यप्रदेश के चुनाव में इसका कितना जलवा था. उधर कांग्रेस किससे गठबंधन करे इसकी चिन्ता उससे ज्यादा दूसरे लोग भी कर रहे हैं. उस पर भी गठबंधन का दबाव है. बिहार में राजद से तो कर्नाटक में जेडीएस से और महाराष्ट्र में एनसीपी से गठबंधन बना है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी और काग्रेस का गठबंधन होगा, इसे लेकर कभी हां वाली खबर आती है कभी ना वाली.