साल 2016 अपने मूल रूप में आर्थिक गतिविधियों, कारोबारी हलचलों और वित्त संबंधी फैसलों के नाम रहा. अगर आप जानना चाहते हैं इनके बारे में तो साल की 10 सर्वाधिक पढ़ी गईं और चर्चित खबरों के लिए यहां क्लिक करें. इस साल रेलवे को लेकर भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए. इसे आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशें की गईं और रेल बजट का आम बजट में विलय कर दिया गया. यदि आप भारतीय रेलवे से जुड़े अहम फैसले और बदलाव जानना चाहते हैं जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आम इंसान पर असर डाला है तो यहां क्लिक करें.
इस साल सबसे अधिक चर्चित सिलेब्रिटीज में से तीन मुख्य हस्तियां कारोबारी जगत से जुड़ी हैं- इनके नाम हैं रघुराम राजन, रतन टाटा और साइरस मिस्त्री. आइए जानें विस्तृत रूप में....
यूं तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर विरले ही बेबाक होते हैं, लेकिन रघुराम राजन अनोखे थे जिन्होंने जेम्स बॉन्ड शैली में कभी कहा था, 'मेरा नाम राजन है और मैं जो करता हूं, वो करता हूं'. रघुराम राजन आर्थिक से लेकर राजनीतिक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखते थे और यह भी वजह रही कि वे तमाम आलोचनाओं के निशाने पर आते गए. रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद राजन साल 1992 के बाद के ऐसे पहले गवर्नर बताए जाते हैं जिनका पांच साल से कम का कार्यकाल रहा है. रिजर्व बैंक में इससे पहले गवर्नर रहे- डी. सुब्बाराव (2008-13), वाई वी रेड्डी (2003-08), बिमल जालान (1997-2003) और सी. रंगराजन (1992-1997). इन सभी का पांच साल का (तीन+दो साल) अथवा इससे अधिक का कार्यकाल रहा. अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान राजन ने बेबाक भाषण दिए और महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने मन की बात शैक्षणिक संस्थानों में रखी.
गोमांस खाने की अफवाह को लेकर एक मुस्लिम की हत्या के बाद उठा असहिष्णुता का मुद्दा हो या भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना 'अंधों में काना राजा' से करने की हो, सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों पर सवाल उठाना हो या नए जीडीपी आंकड़ों पर सवाल खड़े करना हो, राजन अक्सर बेबाकी से बोलते थे और ऐसा करते समय वह सरकार की पसंद और नापसंद पर माथापच्ची करते नहीं दिखे. सितंबर में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ और उन्होंने खुद ही अपने दूसरे कार्यकाल के लिए मना करके इस बारे में लगाई जा रही तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया था. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरे कार्यकाल का आग्रह न करने के फैसले को देश के लिए 'दुखद' बताते हुए कहा था कि भारत दुनिया के सबसे दक्ष आर्थिक विचारकों में से एक खो रहा है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि नरेंद्र मोदी को राजन जैसे एक्सपर्ट की ज़रूरत नहीं. देश के शीर्ष उद्योगपतियों ने कहा कि राजन का दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करने का फैसला देश का नुकसान है क्योंकि वह आर्थिक स्थिरता लाए और उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की विश्वसनीयता बढ़ाई.
मुंबई में जन्मे रतन नवल टाटा (28 दिसंबर 1937, को मुम्बई, में जन्मे) टाटा समूह के वर्तमान में अंतरिम चेयरमैन हैं. टाटा समूह भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक समूह है जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया. रतन टाटा साल 1991 से लेकर 2012 तक वह टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे. वह टाटा की अन्य बड़ी कंपनियों जिनमें टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, होटल्स और टाटा टेलिसर्विसेस आती हैं, के चेयरमैन भी रहे. रतन टाटा के लंबे कार्यकाल में समूह की कंपनियों की बाजार हैसियत करीब 57 गुना बढ़ी थी. हाल ही में एक नाटकीय घटनाक्रम में साइरस मिस्त्री को ग्रुप के चेयरपर्सन के पद से हटा दिया गया था.
2012 में 48 साल के साइरस पल्लोनजी मिस्त्री को जब ग्रुप के चेयरमैन की कमान सौंपी गई, तब उम्मीद की गई कि वह समूह को रतन टाटा द्वारा पहुंचाई गई ऊंचाई से और आगे ले जाएंगे. लेकिन मिस्त्री से तमाम शिकायतों के बीच उन्हें हटाने का फैसला ले लिया गया. उन्हें बहुत धूमधड़ाके के साथ कंपनी की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी पर माना जा रहा है कि घाटे में चल रही कंपनियों को छांटने और केवल लाभ देने वाले उपक्रमों पर ही ध्यान देने के उनके दृष्टिकोण से कंपनी में अप्रसन्नता थी. इनमें यूरोप में घटे में चल रहे इस्पात करोबार की बिक्री का मामला भी शामिल है. इसके बाद ग्रुप और मिस्त्री के बीच की तनातनी अक्सर सामने आई. मिस्त्री का जन्म चार जुलाई 1968 को हुआ था और उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड मेडिसिन से सिविल इंजीयिरिंग में स्नातक किया. बाद में उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में मास्टर्स किया.
(एजेंसियों से इनपुट)