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विचार
  • ममता बनर्जी का PR संकट विपक्ष के लिए बुरी खबर है
    तीन बार से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री रहीं ममता बनर्जी ने अपनी साफ-सुथरी छवि का सभी को दीवाना बना दिया है. वह एक छोटी सी हस्ती हैं, एक आंदोलन से जन्मी नेता हैं,  जो पद पर रहने के बावजूद हमेशा व्यवस्था से लड़ रही हैं.
  • प्रियदर्शन का ब्लॉग : द्रौपदी मुर्मू का अपमान और हमारे अपने पूर्वाग्रह
    प्रियदर्शन
    स्त्री की गरिमा कोई ऐसी चीज़ नहीं है कि वह एक शब्द से घायल हो जाए। स्त्री का सम्मान एक बड़ी चीज़ है जो आपके पूरे व्यवहार से आता है। उसे आप अपने राजनीतिक आक्रमण की रणनीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं तो दरअसल उसकी गरिमा कम करते हैं। 
  • ED की जांच के दायरे में विपक्ष ही क्यों?
    रवीश कुमार
    भारत में कोई कानून कितना प्रभावी है, यह उसके सदुपयोग से नहीं, बल्कि दुरुपयोग से तय होता है. कुछ कानूनों का दुरुपयोग इतना बढ़ जाता है कि उसे हटाकर नया कानून लाया जाता है, ताकि दुरुपयोग जारी रहे.
  • लोकतंत्र की लड़ाई, सबकी लड़ाई जो नहीं लड़ा और चुप रहा, उसने गंवाई
    रवीश कुमार
    लोकतंत्र की लड़ाई हमेशा आम लोग लड़ते हैं. जान देने की हद तक लड़ जाते हैं. भारत के एक पड़ोसी देश म्यांमार में लोकतंत्र के चार कार्यकर्ताओं को फांसी दे दी गई है.
  • ...क्यों एकनाथ शिंदे से बार-बार एक ही सवाल कर रहे हैं उनके सहयोगी MLAs
    एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस ने मिलकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिराने के लिए काम किया था. गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे खेमा के बहुत सारे शिवसेना के विधायकों ने शिंदे का हाथ थाम लिया था.
  • झंडा ऊंचा रहे हमारा, लेकिन यूक्रेन से लौटा छात्र क्या करे बेचारा?
    रवीश कुमार
    झंडा खादी का हो या पॉलिएस्टर का यह सवाल तो है ही लेकिन क्या इतने कम समय में 20 करोड़ झंडे का उत्पादन, वितरण, विक्रय वगैरह सब हो जाएगा?
  • द्रौपदी मुर्मू और गणतंत्र की यात्रा के पड़ाव
    रवीश कुमार
    गंगा सफाई अभियान से जुड़ी ख़बरों का एक भरा पुरा ख़ानदान हैं।उन सबको निकाल कर एक जगह रखेंगे तो आप देख पाएंगे कि गंगा के नाम पर क्या क्या होता है.
  • भूपेंद्र जी मेरी नजर से 
    माधवी मिश्र
    आज मैं भूपेंद्र के उन गीतों के बारे में बात नही करूँगी जो संगीत के सफ़र में मील का पत्थर बने हुए हैं बल्कि उन गीतों की बात करूँगी जो कम चर्चा में रहे पर अपनी उत्कृष्टता के नायाब नमूने हैं।
  • अरावली खा गए माफिया, ज़ुबैर को ज़मानत
    रवीश कुमार
    क्या आप जानते हैं कि 2017 से लेकर 2020 तक के तीन साल में सीनियर सिटीज़न ने रेल टिकट की सब्सिडी पर सरकार से कितने करोड़ की छूट ली है, और कारपोरेट ने 5 साल में सरकार से कितने करोड़ की टैक्स छूट ली है? इसका जवाब लोकसभा और राज्य सभा में सरकार ने खुद ही दिया है. कोई पांच से छह करोड़ सीनियर सिटीज़न एक साल में रिजर्व क्लास से रेल यात्राएं करते हैं, सरकार उनके टिकट पर सब्सिडी देती है (थी). लोकसभा में रेल मंत्रालय ने बताया है कि सीनियर सीटिज़न के रेल टिकट पर हर साल 1500 करोड़ से लेकर 1650 करोड़ तक की सब्सिडी दी जाती थी, जो अब बंद कर दी गई है. 2017-18 से लेकर 2019-20 के तीन वित्त वर्षों में सीनियर सिटीज़न को कुल 4, 794 करोड़ की सब्सिडी दी गई थी. 
  • डॉलर के लिए भारत छोड़ा, डॉलर ने भी छोड़ा भारत, रुपया कमज़ोर हुआ है, क्या आगे भी होगा कमज़ोर
    रवीश कुमार
    भारत का रुपया गिर रहा है. ठीक है, गिर रहा है तो गिर रहा है. पहले भी गिरा करता था, अब भी गिर रहा है. पहले गिरने पर एक महात्मा ने कहा था कि महापुरुष के आते ही एक डॉलर का भाव 40 रुपया हो जाएगा, हो गया 80 रुपया, गिर अब भी रहा है लेकिन महात्मा बोल नहीं रहे हैं.
  • करोगे याद तो हर बात याद आएगी... 
    प्रियदर्शन
    कई लोग मानते हैं कि भूपेंद्र दरअसल ग़ज़लों के लिए बने हैं. बाद के वर्षों में उनकी गैरफिल्मी ग़ज़लें ये बताती भी रहीं. यह सच है कि इस मामले में उन्हें मेहदी हसन, गुलाम अली या जगजीत सिंह जैसी शोहरत नहीं मिली, लेकिन उनका अपना एक मुक़ाम रहा.
  • करोगे याद तो हर बात याद आएगी... 
    प्रियदर्शन
    कई लोग मानते हैं कि भूपेंद्र दरअसल ग़ज़लों के लिए बने हैं. बाद के वर्षों में उनकी गैरफिल्मी ग़ज़लें ये बताती भी रहीं. यह सच है कि इस मामले में उन्हें मेहदी हसन, गुलाम अली या जगजीत सिंह जैसी शोहरत नहीं मिली, लेकिन उनका अपना एक मुक़ाम रहा.
  • दूसरी आज़ादी लाई GST - पहले परांठा, अब आटा, हीरे पर कम, स्याही पर ज़्यादा...
    रवीश कुमार
    मोहम्मद ज़ुबैर का केस कानून की प्रक्रिया को लेकर एक गंभीर बहस का मुद्दा बन गया है. महंगाई से लेकर मुकदमे का एक ही हाल है.अब तो चीफ जस्टिस भी कह रहे हैं कि जल्दबाज़ी में गिरफ्तारी होने लगी है.
  • ताकि तिरंगे की गरिमा बची रहे
    प्रियदर्शन
    जिस दौर में बीस करोड़ घरों में तिरंगा फहराने की बात हो रही है, उस दौर में इस देश के चरित्र को जैसे बदला जा रहा है. पहले लोग चोरी-छुपे यह कहते थे कि यह देश सिर्फ़ हिंदुओं का है, अब खुल कर यह बात कही जा रही है और इस बहुसंख्यकवादी उभार को सत्ता प्रतिष्ठान का परोक्ष समर्थन और सहयोग हासिल है.
  • विपक्ष ने फिर से विपक्ष को हरा दिया!
    स्वाति चतुर्वेदी
    झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, सभी संभावित राजनीतिक समीकरणों पर सटीक बैठती हैं. 18 जुलाई को निर्वाचित होने के बाद मुर्मू राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी.
  • रुपया गिरा रे...डॉलर के बाजार में...
    ठीक है कि कभी वह गुस्से में आ गई थी कि एक डालर का भाव 56 रुपये क्यों हो गया था, 64 रुपये कैसे हो सकता है, लेकिन अब वह 80 के भाव पर एडजस्ट हो चुकी है. जैसे वह बेरोज़गारी की दर से एडजस्ट हो चुकी है.
  • शब्द असंसदीय हैं या हमारे माननीय सांसदों का व्यवहार?
    संसद में डेढ़ हज़ार से ज़्यादा शब्दों को असंसदीय घोषित कर दिया गया है। अब संसद की कार्यवाही के दौरान इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। यानी अब किसी वाकये को शर्मनाक नहीं बताया जा सकेगा, किसी को भ्रष्ट नहीं कहा जा सकेगा, किसी के लिए गिरगिट जैसा विश्लेषण इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
  • कौन हैं 'जुमलाजीवी', कौन हैं 'तानाशाह'...
    रवीश कुमार
    स्पीकर ओम बिड़ला के जवाब के बाद भी इन शब्दों को संसदीय कार्यवाही और बाहर की राजनीति में इस्तमाल को लेकर देखा ही जा सकता है कि इन्हें लेकर किस तरह की सतर्कता बरती जा रही है और किस तरह के ख़तरे पैदा हो रहे हैं . 
  • बाय बाय गोटाबाया जी, सवालों से भागे और अब देश से ही भाग गए...
    रवीश कुमार
    भारत श्रीलंका जैसा कभी नहीं होगा लेकिन गोटाबाया की यह दलील भारत में भी कई बार सुनाई देती है.श्रीलंका की कहानी इसलिए नहीं सुनाई जानी चाहिए कि ऐसा भारत में हो जाएगा, ऐसा कभी नहीं होगा, बल्कि इसलिए सुनाई जानी चाहिए कि जब भी पत्रकारों का दमन हो,सतर्क हो जाना चाहिए.90 प्रतिशत साक्षरता दर वाले श्रीलंका के लोगों ने जो  किया, 78 प्रतिशत साक्षरता दर वाले भारत के लोग भी वही कर रहे हैं.
  • जज को किसने दी धमकी, क्यों खेल हो गया है जेल...
    रवीश कुमार
    मोहम्मद ज़ुबैर एक ही तरह के दो मामलों में जेल में हैं, उसी तरह के एक मामले में ज़मानत मिल गई है. क्या यह राहत है? सुप्रीम कोर्ट ने जब सीतापुर केस में ज़ुबैर को ज़मानत दी तब चैनलों पर फ्लैश होने लगा कि मोहम्मद को सीतापुर केस में राहत.क्या इस केस में राहत का इस्तेमाल किया जा सकता है ?
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