Karnataka-Elections-2018: न्यायपालिका के इतिहास में दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट देर रात को खुला और सुनवाई हुई
नई दिल्ली:
न्यायपालिका के इतिहास में बुधवार को ऐसा दूसरी बार हुआ जब आधी रात को सुप्रीम कोर्ट खोलकर अदालत लगाई गई. जब देश सो रहा तब सुप्रीम कोर्ट में दलीलों का दौर जारी था. कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता देने के खिलाफ कांग्रेस ने देर रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. रात 1 बजे मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के लिए 3 जजों की बेंच गठित की और 2.10 बजे से सुनवाई शुरू हुई. तड़के 5.30 बजे तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस द्वारा येदियुरप्पा का शपथ रोकने की मांग को ठुकरा दिया.
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब आधी रात को अदालत खुला हो. इससे पहले 29 जुलाई 2015 को पहली बार आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला था. मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की याचिका, सुप्रीम कोर्ट, गवर्नर और बाद में राष्ट्रपति से खारिज होने के बाद फांसी से ठीक पहले आधी रात को जाने-माने वकील प्रशांत भूषण समेत 12 वकील चीफ जस्टिस के घर पहुंचे थे. उन्होंने याकूब मेमन की फांस पर रोक लगाने की मांग की. उसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस एच एल दत्तू ने वर्तमान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में तीन जजों की बेंच गठित की. देर रात को ही जज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और मामले की सुनवाई शुरू हुई. तीन जजों की इस लार्जर बेंच ने याकूब की फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब आधी रात को अदालत खुला हो. इससे पहले 29 जुलाई 2015 को पहली बार आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला था. मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की याचिका, सुप्रीम कोर्ट, गवर्नर और बाद में राष्ट्रपति से खारिज होने के बाद फांसी से ठीक पहले आधी रात को जाने-माने वकील प्रशांत भूषण समेत 12 वकील चीफ जस्टिस के घर पहुंचे थे. उन्होंने याकूब मेमन की फांस पर रोक लगाने की मांग की. उसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस एच एल दत्तू ने वर्तमान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में तीन जजों की बेंच गठित की. देर रात को ही जज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और मामले की सुनवाई शुरू हुई. तीन जजों की इस लार्जर बेंच ने याकूब की फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
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