मध्य प्रदेश के चुनावी रण में साधु-संतों का 'यह फैसला' कांग्रेस के लिए बन सकती है संजीवनी!

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं. ऐसे में साधु-संतो की नाराजगी शिवराज सरकार को भारी पड़ सकती है.

मध्य प्रदेश के चुनावी रण में साधु-संतों का 'यह फैसला' कांग्रेस के लिए बन सकती है संजीवनी!

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो).

खास बातें

  • शिवराज सरकार से नाराज हैं साधु-संत
  • साधु संतों ने कांग्रेस का साथ देने का फैसला किया
  • उन्होंने कहा कि जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं
जबलपुर:

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं. ऐसे में साधु-संतो की नाराजगी शिवराज सरकार को भारी पड़ सकती है. जबलपुर में शुक्रवार को साधु-संतों ने 'नर्मदा संसद' का आयोजन किया और इस दौरान उन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया नर्मदा नदी के तट पर 'नर्मदा संसद' का आयोजन कंप्यूटर बाबा ने किया. उन्हें शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा मिला था. कुछ महीने बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस संसद में प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में साधु-संत यहां पहुंचे. उन्होंने अपनी बात कही. साथ ही कहा, "जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं."

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कंप्यूटर बाबा ने खुले तौर पर शिवराज सरकार पर कई आरोप लगाए और कहा, "इस सरकार को सबक सिखाने का समय आ गया है, कांग्रेस को पांच साल का मौका देना चाहिए. माफ करें शिवराज और माफ करें महाराज, आइए कांग्रेस को मौका देते हैं." नर्मदा संसद में सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि चुनाव में साधु-संत कांग्रेस के लिए काम करेंगे. कंप्यूटर बाबा ने कहा, "शनिवार से साधु-संत कांग्रेस के लिए जुट जाएं और नई सरकार बनाएं."

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मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सरकार और कंप्यूटर बाबा में जमकर तनातनी चलती रही है. बाबा अब लगातार राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाकर संतों का सम्मेलन कर रहे हैं.

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(इनपुट आईएएनएस से)


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