राइट टू प्राइवेसी आयोग से लिस्ट में ऑफ़िस के वॉशरूम और शादी का बुफ़े को जोड़ने का आवेदन

इस ब्लॉगरूपी आवेदन के ज़रिए आपसे अपील करता हूं कि निजता के दायरे के डिलिमिटेशन में दो एरिया को तुरत-के-तुरत शामिल करें. 

राइट टू प्राइवेसी आयोग से लिस्ट में ऑफ़िस के वॉशरूम और शादी का बुफ़े को जोड़ने का आवेदन

प्रतीकात्मक फोटो

सेवा में,
डीम्ड निजता आयोग,
भारत
 
डियर सर या मैडम

मैं एक 'जनरलिस्ट' हूं. और आदर्श 'जनरलिस्ट' की तरह ना तो मुझे पता है कि किस फ़ॉर्मैट के तहत ये आवेदन भेजना चाहिए और ना ही मैं जानने की कोशिश में मेहनत करना चाहता हूं, गूगल करने पर सुना है हमारा डेटा खींच लिया जाता है तो मैं सीधे इस आवेदन पत्र पर आ गया. चूंकि आयुर्वेदाचार्य ने मुझे साफ़ कहा है कि मन में किसी राय के बनते ही तुरंत निकाल बाहर करना स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है तो मैंने सोचा कि इससे पहले की बिग डेटा, होमोसेक्शुएलिटी, इच्छा-मृत्यु और बायोमेट्रिक डेटा जैसे सेकेंडरी टॉपिक पर राष्ट्र बहस में फंसे, उससे पहले कृपया दो सार्वजनिक जगहों पर निजता की गारंटी तय करें. इस ब्लॉगरूपी आवेदन के ज़रिए आपसे अपील करता हूं कि निजता के दायरे के डिलिमिटेशन में दो एरिया को तुरत-के-तुरत शामिल करें. 

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पहली जगह है मेरे ऑफ़िस का पुरुष वॉशरूम, जो पहले हिंदी जगत में शौचालय के नाम से जाना जाता था. मेरी सीमित समझ के हिसाब से एक पेचीदा मसला होगा आपके लिए क्योंकि बाई-डेफ़िनिशन वो एक सार्वजनिक जगह है, पर मुझे वहीं निजता की गारंटी चाहिए. ये आप के चातुर्य पर है कि आप कैसे मैनेज करते हैं, पर कृपया इसपर त्वरित कार्रवाई करें. मेरा आवेदन ये है कि दरवाज़े के भीतर जाने के बाद का वक़्त मेरा निजी स्पेस माना जाए. वो स्पेस जहां पर मुझे अपने हाल पर छोड़ दिया जाए. जहां पर मुझसे कोई सवाल ना करे मतलब शंका का लघु रहने दिया जाए, दीर्घ ना बनाया जाए. कोई मुझसे ना पूछे कि बलीनो और आई-20 में से कौन सी ठीक होगी? ब्रेज़ा जल्दी दिलवाने का कोई जुगाड़ है कि नहीं?  कोई मेरे पीछे क़तार में खड़े होकर सवाल करने का इंतज़ार ना करे कि यमुना एक्सप्रेसवे पर जाने से पहले नॉर्मल हवा भरवाना ठीक है कि नाइट्रोजन? ये तो बिल्कुल नहीं कि स्प्लेंडर पर कोई डिस्काउंट चल रहा है क्या? फ़ोक्सवागन की गाड़ियां पिट रही हैं तो फिर उसका पुनर्रत्थान ऑफ़िस शौचालय में नहीं करवाया जा सकता. नैनो टाटा की समस्या है, मेरा जीवन पहले से पहाड़ है. टॉयलेट में प्रेम कथा बना दी तो इसका मतलब ये नहीं कि टॉयलेट में टोयोटा फ़ॉर्चूनर और फ़ोर्ड एंडेवर पर परिचर्चा भी हो जाए तो मेरी अपील है कि एक गाईडलाइन जारी करके मुझे ऐसे सवालों से बचाया जाए, ऑडी और बीएमडब्ल्यू के पहियों के नीचे मेरे निजता का कांड होने से बचाएं. वैसे लगे हाथों एक और प्रस्ताव पास कर दीजिए - हाथ धोने के बाद बिना टिशू पेपर से हाथ पोछे किसी से हाथ मिलाना भी निजता का हनन माना जाए.

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अब दूसरी सार्वजनिक निजी जगह का मुद्दा. शादी में बुफ़े. दरअसल मेरी एक बहुत ज़्यादा निजी समस्या है. मेरे दांतों में समस्या है, बल्कि समस्या माइल्ड वर्ड है. मेरे दांत ठीक वैसे हैं जैसे टूथ पेस्ट की ऐड में दिखाए जाते हैं. मतलब दांतों का वो सेट जिससे डराकर दर्शकों को टूथ पेस्ट ख़रीदवाया जाता है. मेरे दांत वैसे ही हैं. ठीक है, होते हैं कुछ लोगों के, कुछ ग़लती भी रही और कुछ डेंटिस्टों को रोज़गार देने की योजना के तहत भी ऐसा हुआ है. ख़ैर, इस परिस्थिति में मेरा आवेदन है कि शादियों में खाते वक़्त फ़ोटोग्राफ़ी को भी आप निजता के हनन कैटगरी में मानें क्योंकि ख़राब दांत के साथ मेरी दूसरी समस्या जब मिल जाती है तो निजता और सम्मान दोनों का हनन होता है. दूसरी समस्या ये है कि मैं दिल्ली में स्कूल पढ़ा हूं और क्योंकि स्कूल पहुँचने की जल्दी में घर में नाश्ता नहीं कर पाता था तो हमेशा केमेस्ट्री की क्लास में ही नाश्ता करता आया था, जिसमें टीचर से छुप कर खाने के चक्कर में एक ही बार में इतना बड़ा कौर ले लेता था जितना ताज मान सिंह में नूडल्स एक फ़ुल प्लेट में आता है. कहने का मतलब ये कि खाते वक़्त मेरा मुखारविंद बड़ा ही हृदयविदारक होता है और ऊपर से अवांछित दंत-पंक्ति मिलाकर ऐसा मंज़र तैयार करते हैं जिसका हवाला देकर मां-बाप अपने नवजातों को फ़ैरेक्स खिलाते हैं, तो मेरी उस भुवनमोहक छवि से समाज को बचाना आपकी ज़िम्मेदारी है. कहने का मतलब ये कि क़ानूनी तौर पर ठोस होने पर मैं शादी वाले फ़ोटोग्राफ़र से कमसेकम राइट टू प्राइवेसी के तहत कुछ मुआवज़ा ऐंठ पाऊंगा!!

तो फ़िलहाल यही दो मुद्दे थे. देखता हूं इन दोनों मुद्दों पर आपका प्रदर्शन कैसा रहता है. उस हिसाब से आगे और आवेदन भेजूंगा.

चियर्स
भवदीय
क्रांति संभव
 

क्रांति संभव NDTV इंडिया में एसोसिएट एडिटर और एंकर हैं...

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