क्या आप जानते हैं, केंद्र और राज्य सरकारों ने कितने करोड़ की आबादी के खाते में पैसे दिए...?

कोरोना संकट के साथ ही केंद्र सहित कई राज्य सरकारों ने अपने-अपने यहां के किसानों, मज़दूरों, पेंशनधारियों के खाते में पैसे दिए हैं. अनाज दिया है और फ्री गैस सिलेंडर भी.

क्या आप जानते हैं, केंद्र और राज्य सरकारों ने कितने करोड़ की आबादी के खाते में पैसे दिए...?

रवीश कुमार का ब्लॉग

कोरोना संकट के साथ ही केंद्र सहित कई राज्य सरकारों ने अपने-अपने यहां के किसानों, मज़दूरों, पेंशनधारियों के खाते में पैसे दिए हैं. अनाज दिया है और फ्री गैस सिलेंडर भी. बेशक, एक बड़ा तबका इसके बाद भी छूट रहा है और उसकी परेशानियों को उजागर करते रहना चाहिए. लेकिन इसी वक्त यह संख्या जानना ज़रूरी है कि आबादी के कितने बड़े वर्ग को इन घोषणाओं के दायरे में लाया गया. इनका ऑडिट होना चाहिए, लेकिन यह तस्वीर सामने नहीं होगी, तो फिर सही तस्वीर नहीं होगी. मीडिया ने तेज़ी से सरकारी ऐलानों का ऑडिट छोड़ दिया है. रिपोर्टिंग से इसका अंदाज़ा नहीं मिल रहा है कि किसी जगह में कितने ऐसे लोग हैं, जो इन घोषणाओं के लाभार्थी हैं और कितने हैं, जो नहीं हैं. जो लाभार्थी हैं, उनके खाते में कितने पैसे मिल रहे हैं.

केंद्र सरकार दावा कर रही है कि इस महीने 1 करोड़ 51 लाख सिलेंडर मुफ्त दिए जा चुके हैं. केंद्र सरकार ने कहा था कि अप्रैल से जून के बीच 8 करोड़ लोगों को तीन सिलेंडर फ्री दिए जाएंगे. इस संख्या को सामने रखेंगे, तभी कई सवाल भी कर पाएंगे. 8 करोड़ लोगों को सिलेंडर देने की बात है, तो अभी तक डेढ़ करोड़ ही दिए गए हैं. सिलेंडर के पैसे पहले ही खाते में डाले जा रहे हैं.

16 अप्रैल को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आंकड़ा दिया है कि एक दिन में 61 लाख राशन कार्ड वालों को 1.3 लाख मीट्रिक टन अनाज दिया है. फ्री में चावल दिया गया है. फिर परिवारों के सदस्यों की संख्या जोड़कर 2.59 करोड़ बताई गई है. यूपी में 3.56 करोड़ राशन कार्ड हैं. हर दिन मुफ्त चावल दिया जा रहा है. जैसे 3 अप्रैल को 58 लाख कार्डों पर अनाज दिया गया था.

16 अप्रैल को उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्वीट किया है कि दूसरे चरण के 3 करोड़ 56 लाख 27 हज़ार राशन कार्ड हैं. इसके सापेक्ष 46 लाख 31 हज़ार 990 कार्डों पर मुफ्त अनाज दिया गया है.

क्या दोनों संख्याएं कुछ अलग-अलग कहानी कह रही हैं...?

खाद्य सचिव आलोक कुमार ने अंग्रेज़ी में ट्वीट किया है, अनाज वितरण के पहले दिन 14.91 प्रतिशत कार्ड धारकों को मुफ्त अनाज दिया गया. कुल 52.95 लाख कार्ड धारकों को. हर कार्ड पर पांच किलो चावल मुफ्त दिया गया है. रात के 9 बजे तक अनाज वितरण हो रहा है.

उत्तर प्रदेश की आबादी 23 करोड़ है. बड़ा हिस्सा ग़रीब और निम्न आय वाला ही होगा, लेकिन यहां 3.56 करोड़ ही राशन कार्ड वाले हैं. तो एक तरफ आप देख रहे हैं कि सरकार साढ़े तीन करोड़ कार्ड वालों को अनाज काफी कुशलता से दे रही है, लेकिन जो छूट गए हैं, उनकी संख्या क्या है, उनका जीवन कैसे बीत रहा होगा.

अब हमें नहीं पता कि पहले दिन चावल ही क्यों बंटा है या चावल के अलावा एक किलो दाल भी मिली है, बाकी चीज़ें भी मिली हैं, यह सरकार के ट्विटर हैंडल से साफ नहीं होता है.

हमारे पास जानने का दूसरा ज़रिया नहीं है कि उत्तर प्रदेश में कितने लोग जो पात्र हो सकते थे, मगर राशन कार्ड सिस्टम से बाहर किए गए...? उत्तर प्रदेश सरकार के एक और ट्वीट में बताया गया है कि राज्य में करीब 7 लाख फूड पैकेट बांटे गए हैं. 1,607 अलग-अलग संस्थाओं की तरफ से. क्या इन्हें सरकार पैसे दे रही है, जो सरकार अपने खाते में गिन रही है...? लेकिन इसी ट्वीट में अलग से बताया गया है कि जिला प्रशासन एवं अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा खाद्य सामग्री के रूप में 5,64,881 फूड पैकेटों का वितरण किया गया. क्या सरकार कम पैकेट बांट रही है, इसलिए इस ट्वीट में अपनी जानकारी नीचे दे रही है...?

एक दूसरे ट्वीट में उत्तर प्रदेश सरकार ने लिखा है कि प्रदेश में 12 लाख 73 हज़ार से अधिक फूट पैकेट बंटे हैं.

फूड पैकेटों से एक सवाल बनता है. इन पैकेटों में क्या है, भोजन की मात्रा क्या है, पता नहीं चलता. पर्याप्त है या कम है, पता नहीं चलता है.

दिल्ली के मुकाबले उत्तर प्रदेश कई गुना बड़ा राज्य है. दिल्ली सरकार दावा करती है कि एक शाम 9-10 लाख लोगों को भोजन करा रही है. तो क्या उत्तर प्रदेश सरकार पौने छह लाख पैकेट्स भी नहीं बांट रही है, क्या हम यह समझें कि वह छह लाख लोगों को खाना नहीं खिला पा रही है, वैसे यह साफ नहीं है कि पौने छह लाख से भी कम फूड पैकेट किस आधार पर बंटे हैं, जैसे एक आदमी को दो-दो पैकेट मिले होंगे, तब तक लोगों की संख्या के हिसाब से यह संख्या कुछ भी नहीं है. उम्मीद है, उत्तर प्रदेश सरकार अगले प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में साफ करेगी.

अब आते हैं बिहार पर.

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा दूसरे राज्यों में फंसे 6.67 लाख प्रवासी बिहारी मजदूरों के खाते में एक-एक हज़ार रुपये ट्रांसफर किए गए. दिल्ली में रुके 1 लाख 30 हजार प्रवासी बिहारी के खाते में 1,000 रुपये गए हैं. क्या इन्हें दिल्ली सरकार से भी पैसे मिले हैं...? हमें इसकी जानकारी नहीं. बस सवाल है. कुल सात लाख खातों में पैसा भेजा गया है और करीब एक लाख खातों में भेजा जाना है. बिहार सरकार ने अंडमान में फंसे 265 प्रवासी बिहारियों के खाते में भी 1,000 रुपये डाले हैं.

बिहार सरकार ने 84 लाख राशन कार्ड धारकों के खाते में एक-एक हज़ार रुपये दिए हैं. सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन पाने वालों के खाते में भी 1,000 रुपये दिए गए हैं. बिहार सरकार कुल 2,000 करोड़ रुपये लोगों को दे चुकी है.

एक ग़रीब राज्य में सिर्फ़ 84 लाख राशन कार्ड धारक हैं...?

अगर जवाब हां है, तो यह आंकड़ा भयावह है, शर्मनाक है.

हमारे पास सारी संख्या उपलब्ध नहीं है. लेकिन 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में एक करोड़ से कुछ अधिक लोगों को ही आर्थिक मदद मिली है. क्या इसे आप सरकार की कुशलता या उपलब्धि कहना चाहेंगे...?

बेहतर होता कि केंद्र की तरफ से हर राज्य का डेटा मिलता कि उसकी और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत कितने करोड़ लोगों के खाते में पैसे गए हैं, कितने करोड़ खाते हैं, जिनमें दोनों सरकारों के पैसे गए हैं और इसी तरह कितने करोड़ लोग ऐसे हैं, जो गरीबी रेखा से थोड़े ऊपर है, रेखा पर हैं और नीचे हैं, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला है.

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