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This Article is From Jan 21, 2019

24 घंटे लेट हो गई ट्रेन, छूट गई परीक्षा, रेलमंत्री बिज़ी हैं प्रचार में

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 21, 2019 10:06 am IST
    • Published On जनवरी 21, 2019 10:06 am IST
    • Last Updated On जनवरी 21, 2019 10:06 am IST

18 जनवरी की आधी रात से पहले राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों से नौजवान आनंद विहार स्टेशन पर जमा हो गए थे, क्योंकि 19 जनवरी को सुबह 6:30 बजे भुवनेश्वर जाने वाली नंदनकानन एक्सप्रेस छूट न जाए. यह ट्रेन चलने से पहले ही 9 घंटे लेट हो जाती है. दोपहर 3 बजे दिल्ली से रवाना होती है. निर्धारित समय के अनुसार इसे 20 जनवरी को सुबह 10:40 बजे पहुंचना था, मगर यह पहुंचती है 21 जनवरी को 8:50 बजे. 9 बजे से रेलवे की परीक्षा थी. 50-60 छात्रों की परीक्षा छूट गई. महीनों की तैयारी और सपने बर्बाद हो गए. इन सबने पहले चरण की परीक्षा पास कर ली थी. दूसरे चरण की परीक्षा देने के लिए जोधपुर से भुवनेश्वर के लिए निकले थे. पूरी ट्रेन छात्रों से भरी थी. मिर्ज़ापुर में छह घंटे के लिए खड़ी कर दी गई. भुवनेश्वर के लिए यही गाड़ी थी. छात्रों ने सबसे मदद की अपील की. परीक्षा की नहीं, उनकी ज़िन्दगी की गाड़ी छूटने जा रही थी. वे स्टेशन मास्टर से गिड़गिड़ाते गए कि हमारी गाड़ी निकलवा दो. हमारा इम्तिहान छूट जाएगा. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा.

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आपकी ट्रेन 24 घंटे लेट हो जाए और आपका इम्तिहान छूट जाए. आप उस वक्त क्या-क्या सोच रहे होंगे...? रेलमंत्री के ट्विटर हैंडल पर जाइए. पता चलेगा कि वह अपनी छवि बनाने में कितना व्यस्त हैं. रेलवे में बदलाव की ख़बरें ट्वीट कर रहे हैं. मगर जनता उनसे मदद मांगती है कि ट्रेन टाइम पर चलवा दें, परीक्षा छूट जाएगी, तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है. छात्रों ने कितनी अपील की कि परीक्षा के केंद्र नज़दीक दें. उनकी बात नहीं सुनी गई. इन छात्रों को किसने फेल किया है...? रेलमंत्री पीयूष गोयल ने फेल किया है. अब क्या किया जा सकता है...? क्या रेलमंत्री इन्हें दोबारा परीक्षा देने का मौका दे सकते हैं...?

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बहुतों की नज़र में यह ख़बर मामूली होगी. बड़ी-बड़ी ख़बरों के बीच 50-60 लड़कों के लिए बड़ी ख़बर क्या होगी, यह जानने के लिए एक बार आप उनसे बात कर लें. अच्छी बात है कि भारत में किसी की ज़िन्दगी बर्बाद करने वाला कभी ज़िम्मेदार नहीं होता है. पीयूष गोयल का क्या है, वह किसी और मीडिया कॉन्क्लेव में भाषण देते मिल जाएंगे. उन्हें ऊर्जावान मंत्री बुलाने वाले एंकरों की कमी नहीं होगी, लेकिन इन छात्रों की ज़िन्दगी का यह चांस दोबारा नहीं लौट पाएगा.

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