खास बातें
- फिल्म पद्मावती में लगाए जाएंगे 26 कट
- फिल्म का नाम बदलकर रखा जा सकता है पद्मावत
- अभी भी यूए सर्टिफिकेट के लिए करने होंगे बदलाव
नई दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) की 6 सदस्यीय कमेटी ने 28 दिसंबर को पद्मावती फिल्म देखने और रिव्यू करने के बाद एक बैठक की. इस बैठक में सभी ने यह फैसला लिया है कि यूए सर्टिफिकेट के लिए फिल्म में कुछ बदलाव करना होगा. इसके अलावा सबसे अहम बदलाव फिल्म के नाम 'पद्मावती' को लेकर हुआ. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक संभावना है कि फिल्म के टाइटल में भी बदलाव किया जा सकता है. फिल्म का नाम पद्मावती से बदलकर 'पद्मावत' कर सकते हैं. जरूरी बदलाव के बाद फिल्म को सर्टिफिकेट दिया जाएगा. सीबीएफसी का कहना है कि फिल्म को निर्माताओं और सोसाइटी दोनों को ध्यान में रखते हुए इस फिल्म को संतुलित दृष्टिकोण से बनाया गया है.
सेंसर बोर्ड ने 'पद्मावती' फिल्म देखने के लिए जयपुर के इतिहासकारों को बुलाया
सेंसर बोर्ड यानी सीबीएफसी ने कहा कि फिल्म को लेकर जितने भी विवाद चल रहे थे, उन्हें ध्यान में रखते हुए हमने एक 6 सदस्यीय पैनल को गठित किया ताकि एक सफल समाधान तक पहुंच सकें. इससे पहले मीडिया में ये खबर आई थी कि बोर्ड ने इस फिल्म को पास करने के लिए 26 कट्स लगाने की बात कही थी, मगर इस बात को खुद सेंसर बोर्ड के डायरेक्टर प्रसून जोशी ने खारिज किया है.
प्रसून जोशी ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि इस फिल्म को लेकर सेंसर बोर्ड की तरफ से किसी तरह के कट्स के सुझाव नहीं दिये गये हैं. हालांकि, इस फिल्म में पांच बदलाव की बात जरूर कही गई है. इसके अलावा रिपोर्ट्स की मानें तो बताया जा रहा है कि इन बदलाव के प्रस्ताव पर फिल्म मेकर्स, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर भी सहमत हैं.
खैर, इस फिल्म को सेंसर बोर्ड का पास सर्टिफिकेट लेने के लिए फिल्म के भीतर पांच बदलाव करने होंगे.
ये हैं वो पांच मोडिफिकेशन्स :
- फिल्म के डिक्स्लेमर में बदलाव करने होंगे और ये स्पष्ट रूप से लिखने होंगे कि यह किसी तरह के ऐतिहासिक तथ्यों का दावा नहीं करता.
- फिल्म के नाम को थोड़ा सा चेंज करना होगा और पद्मावती से पद्मावत रखना होगा. क्योंकि फिल्म मेकर ने ये स्पष्ट किया है कि उनकी ये फिल्म ऐतिहासिक तथ्य पर बनी फिल्म नहीं है, बल्कि पद्मावत कविता पर आधारित है.
- घूमर गाने के चित्रण में भी संशोधन करने की जरूरत है.
- ऐतिहासिक स्थलों के गलत या भ्रामक संदर्भ को संशोधित करने की जरूरत है.
- डिस्क्लेमर में इस बात को जोड़ा जाए कि फिल्म में सती प्रथा का उल्लेख नहीं है और न ही उसका महिमा मंडन करती है.
सदस्यों द्वारा सहमित के बाद फिल्म को यूए सर्टिफिकेट के साथ रिलीज होने की अनुमति दी जाएगी. सीबीएफसी के स्पेशल पैनल में उदयपुर से अरविंद सिंह और जयपुर यूनिर्वसिटी से डॉ. चंद्रमणि सिंह और प्रोफेसर केके सिंह शामिल थे. पैनल मेंबर ने ऐतिहासिक घटनाओं और सामाजिक-सांस्कृतिक दावों को ध्यान में रखते हुए काफी लंबी बातचीत की.
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