पाक सिंगर की आवाज के इस्तेमाल का इस संगीतकार ने किया बचाव, कहा- 'मेरे ही फिल्म के गाने...'

संगीतकार शमीर टंडन ने अपनी फिल्म में पाकिस्तान के गायक के इस्तेमाल का बचाव किया है.

पाक सिंगर की आवाज के इस्तेमाल का इस संगीतकार ने किया बचाव, कहा- 'मेरे ही फिल्म के गाने...'

पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान

खास बातें

  • संगीतकार शमीर टंडन ने राहत का किया सपोर्ट
  • बाबुल सुप्रियो ने उठाया था सवाल
  • 'वेल्कम टू न्यूयॉर्क' फिल्म का है गाना
नई दिल्ली:

संगीतकार शमीर टंडन ने अपनी फिल्म में पाकिस्तान के गायक के इस्तेमाल का बचाव किया है. उनकी अगली फिल्मी 'वेल्कम टू न्यूयॉर्क' में पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान ने भी गीत गाया है. टंडन ने कहा, अगर देश, यहां तक कि एक उद्योग के रूप में हम सीमा पार के कलाकारों (जिन पर देवी सरस्वती की समान कृपा है) के साथ काम करने के खिलाफ फैसला लेते हैं, तो मुझे भी इसका पालन करने में प्रसन्नता होगी. मैं इनका इस्तेमाल नहीं करने में सबसे आगे रहूंगा. लेकिन, शमीर टंडन ने कहा कि बॉलीवुड में पाकिस्तानी गायकों का लगातार इस्तेमाल हो रहा है.

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टंडन ने कहा, मेरा कहना है कि इन्हीं राहत फतेह अली खान ने फिल्म 'सुल्तान' में 'जग झुमेया' गाया और, 'बादशाहो' में 'मेरे रशके कमर' जैसे गाने इस्तेमाल हुए. यह सभी कैसे इन भावनाओं से बच गए? टंडन ने कहा, या फिर, आतिफ असलम ने 'टाइगर जिंदा है' का गाना गाया. कुछ ही दिन पहले अजय देवगन की फिल्म 'रेड' के लिए भी ऐसा ही गाना जारी हुआ. इन गानों को पाकिस्तानी आवाजों के कारण क्यों नहीं कठघरे में खड़ा किया गया. मेरे ही फिल्म के गाने के साथ ऐसा क्यों हो रहा है? क्या इसलिए क्योंकि अन्य सभी कवर वर्जन हैं और मेरा ओरिजनल?

इस सप्ताह की शुरुआत में गायक से केंद्रीय मंत्री बने बाबुल सुप्रियो ने कहा था कि फिल्म 'वेल्कम टू न्यूयॉर्क' के 'इश्तेहार' गीत से राहत फतेह अली खान की आवाज को हटाया जाए और इसे किसी और से रिकार्ड किया जाए. उन्होंने कहा कि वह नहीं समझ पा रहे हैं कि जब भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है, तो ऐसे में सीमापार से मनोरंजन का कंटेंट लेने की क्या जरूरत है.

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'इश्तेहार' गीत के लेखक मनोज मुंतशिर ने कहा, संगीत से मेरा रिश्ता एक किसान और उसकी फसल जैसा है. मैं जीवन यापन करने के लिए कड़ी मेहनत करता हूं. मैं लिखता हूं ताकि मेरे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके और बीमारी के समय में मेरे बूढ़े मां-बाप का अच्छा इलाज हो सके. लेकिन, अगर मेरे निजी हित और राष्ट्र हित के बीच की बात होगी तो मैं राष्ट्र को पहले रखूंगा. मनोज मोंताशिर ने कहा, किसी भी लेखक, अभिनेता, गायक, दार्शनिक या फिल्म निर्माता की तुलना एक सैनिक से नहीं हो सकती जो सीने पर इसलिए गोली खाते हैं ताकि हम एक आजाद मुल्क में रह सकें.

उन्होंने कहा, पाकिस्तान के गायकों को हमारे लिए गाना चाहिए या नहीं, यह संविधान और कानून पर निर्भर करता है. जो भी कानून और देश निर्धारित करता है, वही मेरा निर्णय है. लेकिन हां, एक लेखक होने से पहले मैं एक भारतीय हूं और यह जीवन भर नहीं बदलने वाला है.

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(इनपुट आईएएनएस से)

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