इनकम टैक्स में दी जा सकती है बड़ी छूट, बजट 2019 में मध्यवर्ग को राहत दे सकती है मोदी सरकार

Budget 2019 को लेकर सूत्रों की मानें, तो आम चुनाव 2019 से कुछ ही समय पहले पेश किए जाने वाले इस बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली आम आदमी, यानी मध्यम वर्ग को खासी राहत दे सकते हैं.

इनकम टैक्स में दी जा सकती है बड़ी छूट, बजट 2019 में मध्यवर्ग को राहत दे सकती है मोदी सरकार

Budget 2019 को लेकर सूत्रों ने बताया है कि वित्तमंत्री इस बजट में करमुक्त आय की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर सकते हैं (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • अरुण जेटली 1 फरवरी को पेश करेंगे मोदी सरकार का आखिरी बजट
  • सूत्रों के मुताबिक, इस बजट में मध्यम वर्ग को मिल सकती है खासी राहत
  • करमुक्त आय की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जा सकता है
नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Govt) का अगला और आखिरी बजट (Budget 2019) पिछले दो साल की तरह 1 फरवरी को ही पेश होने जा रहा है, और अगर सूत्रों की मानें, तो आम चुनाव 2019 से कुछ ही समय पहले पेश किए जाने वाले इस बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) आम आदमी, यानी मध्यम वर्ग को खासी राहत दे सकते हैं. बताया जा रहा है कि चुनावी बजट होने के अलावा इस फैसले में इस सच्चाई का भी दखल है कि कुछ ही वक्त पहले BJP तीन अहम राज्यों में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवा चुकी है, और अब उनके पास मध्यम वर्ग को साधने के अलावा ज़्यादा विकल्प शेष नहीं हैं. इसी उद्देश्य से कुछ ही दिन पहले अफरातफरी में केंद्र सरकार ने सवर्ण जातियों के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में 10 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक भी पारित करवाया था.

इस नए कानून में आरक्षण का हकदार होने के लिए जिन शर्तों का उल्लेख था, उनमें से एक यह भी था कि अभ्यर्थी की वार्षिक आय आठ लाख रुपये सालाना से ज़्यादा न हो. लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की कड़ॉी आलोचना की, क्योंकि इनकम टैक्स की मौजूदा दरों के मुताबिक, आठ लाख रुपये की आय वालों से 20 फीसदी आयकर वसूला जाता है. विपक्ष का कहना था कि जो शख्स अपनी कमाई का पांचवां हिस्सा इनकम टैक्स के रूप में सरकार को दे रहा है, वह आर्थिक रूप से कमज़ोर कैसे माना जा सकता है, या दूसरे शब्दों में जिसे सरकार आरक्षण कानून में 'गरीब' बता रही है, उससे वह 20 फीसदी टैक्स कैसे ले सकती है.

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सूत्रों के अनुसार, इसी आलोचना का सटीक जवाब देने के लिए वित्तमंत्री इस बजट में करमुक्त आय की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर सकते हैं, जो मौजूदा समय में सिर्फ 2.5 लाख रुपये है. इसके अतिरिक्त इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80 सी के तहत निवेश पर दी जाने वाली करमुक्त आय की सीमा को भी 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जा सकता है, ताकि आठ लाख रुपये तक कमाने वालों को किसी तरह का टैक्स नहीं देना पड़े.

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इसके अलावा, सूत्रों का कहना है, आयकर स्लैब में परिवर्तन की मांग भी लम्बे अरसे से की जा रही हैं, लेकिन फिलहाल उनमें बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि अगर उपरोक्त प्रावधान कर दिए जाते हैं, और करमुक्त आय की सीमा को वास्तव में ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया जाता है, तो सरकारी खजाने पर इसका खासा प्रभाव पड़ने के आसार हैं, सो, फिलहाल इनकम टैक्स स्लैब में किसी तरह का परिवर्तन इस वक्त नहीं किया जाएगा.

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मौजूदा समय में ढाई लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लिया जाता है, जबकि ढाई से पांच लाख रुपये तक की कमाई पर पांच फीसदी, पांच से 10 लाख रुपये तक की करयोग्य आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से ज़्यादा की आय पर 30 फीसदी इनकम टैक्स देना होता है. अब सूत्रों से मिली ख़बर के मुताबिक, अगर पांच लाख रुपये तक की आय करमुक्त कर दी जाती है, तो भारत में इनकम टैक्स की स्लैब में स्वतः परिवर्तन हो जाएगा, और निम्नतम स्लैब ही 20 फीसदी का हो जाएगा, जो पांच लाख रुपये से अधिक की आय पर देना होता है. सूत्रों ने बताया है कि इसके बाद भी धारा 80 सी के तहत बचत करने वालों को तीन लाख रुपये तक की राशि को करयोग्य आय में से घटाने का हक होगा, ताकि आठ लाख रुपये तक की आय पर कोई कर न देना पड़े.

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