देश का कॉरपोरेट जगत जहां अपने बैलेंस शीट पर कर्जों का बोझ कम करने के लिए लागत को तर्कसंगत बनाने में (मजदूरी के खर्चों सहित) अपनी ज्यादातर ऊर्जा लगा रहा है, वहीं निजी क्षेत्र में भर्तियों में वित्त वर्ष 2018-19 तक गिरावट जारी रहने की संभावना है. एसोचैम द्वारा अपने सदस्यों की प्रतिक्रिया के आधार पर किए गए मूल्यांकन में यह बात कही गई है. एसोचैम ने अपने अध्ययन में कहा, 'फिलहाल कंपनियों का जोर कर्ज घटाने, संगठित होने, गैर प्रमुख उद्योग से निकलने और बैलेंस शीट को हल्का और मजबूत बनाने पर है. यह अगले डेढ़ तिमाहियों तक जारी रहने की संभावना है. कंपनियां मार्जिन में सुधार और ऋण की लागत को कम करने में व्यस्त होंगी, यहां तक कि शीर्ष कंपनियों की वृद्धि दर भी प्रभावित होगी.' इसमें कहा गया, 'इन परिस्थितियों में, नई भर्तियों की संभावना कम से कम दो तिमाहियों के लिए उज्ज्वल नहीं दिख रही है. हालांकि अगले वित्त वर्ष से चीजें सुधरेंगी.'
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गौरतलब है कि ज्यादातर कटौती दूरसंचार, वित्तीय (निजी बैंकों और गैर-बैकिंग वित्त कंपनियों समेत), सूचना प्रौद्योगिकी, रियल्टी और अवसंरचना के क्षेत्र में हो रही है. एसोचैम ने कहा, 'विशेष रूप से, सरकार द्वारा पुनर्पूंजीकरण के बाद, सरकारी बैंक भी अपने परिचालन अनुपात को कम करने के लिए कर्मचारियों की लागत में कटौती करेंगे तथा नई भर्तियों में भी कटौती होगी.'
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एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, 'हालांकि मूडीज द्वारा भारत की रेटिंग बढ़ाने से उद्योग जगत की भावना में सुधार हुआ है, लेकिन अगली दो तिमाहियों तक निजी क्षेत्र की स्थिति चुनौतीपूर्ण रहेगी. उसके बाद चीजें सुधरेंगी और वर्तमान में उच्च कर्ज, ग्राहकों की धीमी मांग जैसी समस्याएं 2018 के अप्रैल से दूर होनी शुरू हो जाएगी. किसी भी हालत में, किसी अप्रिय घटना को छोड़कर वित्त वर्ष 2018-19 चालू वित्त वर्ष से बेहतर रहेगा.'
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