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नोटबंदी के बाद अब ब्याज दरें गिरेंगी, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करवाना 'घाटे का सौदा'; एक्सपर्ट बता रहे कि क्या करें

सरकार ने नोटबंदी यानी 500 और 1000 रुपए के नोटों को बैन करने का जो फैसला लिया है, उसका असर बैंक के आपके फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर पड़ेगा. नोटबंदी के बाद कमर्शल बैंकों में मौजूद आपके करंट और सेविंग अकाउंट्स में डिपॉजिट बढ़ेगा. कुछ विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि यह 4 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ रुपए हो सकता है.
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NDTV Profit हिंदी03:18 PM IST, 16 Nov 2016NDTV Profit हिंदी
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सरकार ने नोटबंदी यानी 500 और 1000 रुपए के नोटों को बैन करने का जो फैसला लिया है, उसका असर बैंक के आपके फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर पड़ेगा. नोटबंदी के बाद कमर्शल बैंकों में मौजूद आपके करंट और सेविंग अकाउंट्स में डिपॉजिट बढ़ेगा.  कुछ विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि यह 4 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ रुपए हो सकता है. (बैंक अकाउंट में 2.5 लाख रुपए से अधिक जमा करवाने पर क्या होगा? बता रहे हैं एक्सपर्ट)

यदि आपने बैंकों में एफडी करवाई हुई है या करवाने की सोच रहे हैं तो यह आपके लिए नफे का सौदा नहीं होगा. दरअसल बैंकों में जब तेजी से डिपॉजिट बढ़ेगा और जाहिर है कि इस लिक्विड को वह तुरंत ही इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे, तो बढ़े डिपॉजिट पर अधिक ब्याज दर देना बैंकों के लिए मुनासिब नहीं होगा. ऐसे में बैंकों पर एफडी के रेट कम करने का दबाव पड़ेगा.

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नोटबंदी से जुड़े ये नियम पता हैं आपको?
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खाने पीने की चीजों की कीमतें कम हो रही हैं और नोटबंदी से भी मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ा है. ऐसे में आरबीआई जल्द ही 25 से 50 बेसिस पॉइंट का रेट कट कर सकता है. अगले महीने 7 दिसंबर को आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करनी है. बैंकों में जमा के तेजी से बढ़ने के बाद बैक आरबीआई द्वारा रेट कट के ऐलान को जल्द से जल्द लागू कर सकते हैं.

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नोटबंदी- आपकी EMI पर पड़ेगा यह असर
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मंगलवार को जारी डाटा के मुताबिक, उपभोक्ता वस्तुओं की महंगाई दर 14 महीने के निचले स्तर पर (अक्टूबर में) आ गई है. एसबीआई की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्या कांति घोष ने कहा- मुद्रास्फीति अभी और गिरेगी और यह 3.5 फीसदी तक पहुंच सकती है. ब्लैक मनी पर 'धरपकड़' से अभी सुस्ती और बढ़ेगी, खासतौर से सेवा क्षेत्र में. इस सेक्टर में काफी ज्यादा कैश ट्रांजैक्शन होता है. उन्होंने कहा कि दिसंबर में रेट कट होगा और ब्याज दरों में यह कटौती आखिरी साबित नहीं होगी. सीएलएसए में वरिष्ठ अर्थशास्त्री राजीव मलिक को उम्मीद है कि अगले 12 महीनों में आरबीआई तीन बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.

अब सवाल यह है कि एक निवेशक को ऐसे में क्या करना चाहिए

मुद्रास्फीति में कमी और ब्याज दरों में संभावित कटौती से पहले ही भारतीय डेट बाजारों में रैली देखी जा रही है. बॉन्ड में कमजोरी है और यह 8 साल के सबसे निचले स्तर पर है. वैल्यू रिसर्च के डाटा के मुताबिक, डेट फंड्स (गिल्ट मीडियम और लॉन्ग टर्म) के तहत डेट म्यूचुअल फंड्स का औसत रिटर्न पिछले एक हफ्ते में 2 फीसदी से ज्यादा देखा जा रहा है जिससे सालाना यील्ड 15 फीसदी के आसपास हो सकती है. विशेषज्ञों की राय में डेट म्यूचुअल फंड्स (कम से कम मीडियम टर्म) में रैली जारी रह सकती है.

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करंट अकाउंट वालों के लिए सरकार का यह ऐलान राहत भरा
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आउटलुक एशिया कैपिटल के सीईओ मनोज नागपाल के मुताबिक, कम जोखिम लेने वाले निवेशकों को राय है कि वे यदि एफडी करवाते हैं तो उन्हें यह दीर्घकालीन लिहाज से करनी चाहिए, खासतौर से तब यदि वह सालाना या मासिक आधार पर इंट्रेस्ट रेट के माध्यम से आय चाहते हों, क्योंकि ब्याज दरों में अभी और गिरावट आएगी. वैकल्पिक तौर पर, युवा निवेशक लंबी अवधि के डेट म्युचूअल फंड्स में निवेश करें. डेट और बॉन्ड मार्केट को हमेशा गिरती हुए ब्याज दरों के ट्रेंडिग सर्कल का लाभ मिलता है.

नागपाल कहते हैं कि सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम में निवेश किया जा सकता है. यहां छोटी बचत योजनाओं के मुकाबले अधिक ब्याज दरें होंगीं (खासतौर से क्षीण होते ब्याज दरों के दौर में). वैसे छोटी  बचत योजनाएं आमतौर पर बैंक डिपॉजिट के मुकाबले अधिक ब्याज देती हैं.  नागपाल कहते हैं कि बैंक डिपॉजिट में वृद्धि होने, आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं और वीक लैंडिंग एक्टिविटी के चलते बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट रेटों पर दबाव पड़ सकता है.

सिनर्जी कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम दलाल ने कहा कि निवेशक टैक्स फ्री बॉन्ड्स में भी निवेश कर सकते हैं. इसमें 6 फीसदी का टैक्स फ्री रिटर्न मिलेगा और लॉक इन पीरियड भी नहीं है. 30 फीसदी के टैक्स ब्रैकेट में आने वाले निवेशकों के लिए प्री-टैक्स रिटर्न 9 फीसदी होगा.

टैक्स फ्री बॉन्डस निवेशकों के बीच खासे लोकप्रिय थे लेकिन इस साल कोई टैक्स फ्री बॉन्ड नहीं जारी किया गया है. टैक्स फ्री बॉन्ड्स का ट्रेड एक्सचेंज में होता है. टैक्स फ्री बॉन्ड्स में निवेश करते समय इनकी मियाद, रेटिंग और लिक्विडिटी संबंधी कारकों पर जांच परख जरूर कर लेनी चाहिए.

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