लोगों को 'मधुशाला' देने वाले हरिवंश राय बच्चन के बारे में जानिए ये बातें..

हरिवंश राय बच्चन को 1935 में छपी 'मधुशाला' के लिए आज भी याद किया जाता है. 'मधुशाला' हरिवंश जी की उन रचनाओं में से एक है जिसने उनको साहित्य जगत में एक अलग पहचान दिलाई.

लोगों को 'मधुशाला' देने वाले हरिवंश राय बच्चन के बारे में जानिए ये बातें..

हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) 

खास बातें

  • हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को हुआ था.
  • हरिवंश राय बच्चन हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और कवि थे.
  • 1976 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
नई दिल्‍ली:

हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और कवि हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) की आज जयंती हैं. हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) का जन्म 27 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी गांव में हुआ था. श्रीवास्तव कायस्थ परिवार में जन्में हरिवंश राय को बचपन में बच्चन कहा जाता था जिसे उन्होंने आगे चलकर अपने नाम के साथ जोड़ लिया. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई उर्दू में की और फिर उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम.ए. किया. कई सालों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में प्राध्यापक रहे बच्चन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी के कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएचडी पूरी की थी. 

वह आकाशवाणी से जुड़े रहे और एक हिंदी विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने विदेश मंत्रालय के साथ भी काम किया. हरिवंश राय बच्चन ने हिंदी साहित्य में अद्वितीय योगदान दिया. 1935 में छपी 'मधुशाला' के लिए बच्चन साहब को आज भी याद किया जाता है. 'मधुशाला' हरिवंश जी की उन रचनाओं में से है जिसने उनको साहित्य जगत में एक अलग पहचान दिलाई. 'मधुशाला', 'मधुबाला'  और 'मधुकलश'- एक के बाद एक तीन संग्रह शीघ्र आए जिन्हें 'हालावाद' का प्रतिनिधिग्रंथ कहा जा सकता है. 

qgf07h1हरिवंश राय बच्चन के साथ अमिताभ बच्चन

 
हरिवंश राय बच्चन ने 4 आत्मकथा लिखीं थी. कहा जाता है कि उनके अलावा अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी और साहस के साथ किसी ने नहीं लिखा. उनकी पहली आत्मकथा थी-  'क्या भूलूँ , कया याद करूं'. कहने को तो ये एक आत्मकथा थी लेकिन इसमें उस समय के भारत में रहने वाले लोगों के बारे में बहुत कुछ है. उस समय लोगों के बीच में रिश्ते कैसे होते थे, ये सारी चीज़ें उनकी इस आत्मकक्षा में समझने को मिलती हैं.

बच्चन की दूसरी आत्मकथा 'नीड़ का निर्माण फिर', तीसरी आत्मकथा 'बसेरे से दूर' और चौथी 'दशद्वार से सोपान' है. उनकी कृति दो चट्टानें को 1968 में हिन्दी कविता का साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.

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