दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने इस साल जनवरी से अब तक 'ऑपेरशन मिलाप' के तहत 333 बच्चों को उनके घरवालों से मिलवाया है. ये वे बच्चे हैं जो अलग-अलग कारणों जैसे रास्ता भूलने, गलती से दिल्ली वाली ट्रेन में बैठ जाने, घर से भागकर दिल्ली आ जाने जैसे कारणों से दिल्ली पहुंच जाते हैं.
क्राइम ब्रांच रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड, होटलों और अस्पतालों और दूसरी जगहों पर खोजी अभियान चलाती रहती है, और ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें उनके घरवालों से मिलवाती है. क्राइम ब्रांच के एडिशनल सीपी राजीव रंजन के मुताबिक उनकी एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट इस दिशा में बहुत बेहतरीन काम कर रही है, कई बच्चे ऐसे भी होते हैं जो अपने घर का पता नहीं बता पाते, ऐसे बच्चों की काउंसिलिंग होती है और फिर जांच के बाद उनके घरवालों को खोजने में कई कई दिन लग जाते हैं. उसके बाद बच्चों के घरवाले मिल पाते हैं.
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बच्चों से जुड़ी तमाम एजेंसियों और एनजीओ के संपर्क में रहती है. यूनिट ने दिल्ली से इस साल अभी तक 57 अगवा लोगों को भी अपहरण करने वालों के चंगुल से छुड़ाया है, जिसमें 14 नाबालिग और 37 लड़कियां थीं. ऐसे सभी मामलों में किडनैपिंग करने वाले कई गैंग पकड़े गए हैं.
इस साल अब तक लोकल पुलिस ने क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को अपहरण के 20 मामले ट्रांसफर हुए हैं.
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