टीम इंडिया (Team India) के पूर्व कप्तान एमएस (MS Dhoni) को संन्यास लिए हुए तीन दिन हो गए हैं, लेकिन उनसे जुड़े उनके किस्से कहानियां अभी तक जारी हैं. हम आपको लगातार एमएस धोनी (MS Dhoni) और उनकी उपलब्धियों के बारे में बता रहे हैं. अब यह तो आप जानते ही हैं कि एमएस धोनी (MS Dhoni) की पहली नौकरी साल 2001 में खड़गपुर (Khadagpur) में उनके लक्की नंबर जुलाई के सातवें महीने में लगी थी, लेकिन एमएस (MS Dhoni) के रेलवे की इस नौकरी और खड़गपुर छोड़ने की अलग ही कहानी है, जिसके बारे में आप बमुश्किल ही जानते होंगे. वास्तव में साल 2003 में एमएस (MS Dhoni) ने बहुत ही ज्यादा गुस्से में खड़गपुर छोड़ा था. धोनी का यह गुस्सा एकदम जायज था और यह गुस्सा माही के दिल में आज भी कहीं न कहीं बसा हुआ है. कारण यह है कि धोनी ने एक बार खड़गपुर छोड़ा, तो अभी तक इस शहर में दोबारा वापस नहीं लौटे हैं. और आज भी हालात ऐसे हैं पुराने रेलवे के साथियों के बीच जब भी बातचीत में खड़गपुर (Khadagpur) का जिक्र आता है, तो एमएस (MS Dhoni) का जायका खराब हो जाता है!!
#ThankYouMSDhoni
— BCCI (@BCCI) August 17, 2020
As MS Dhoni calls it a day on his glorious career, #TeamIndia members recall fond memories and pay their heartfelt tributes to the former captain.
Watch the full video - https://t.co/VLs1CtQ21S
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दरअसल यह साल 2003 का अगस्त-सितम्बर का महीना था और धोनी को रणजी ट्रॉफी मैच खेलने जाना था. घरेलू सीजन शुरू हो रहा था. उन दिनों रेलवे खिलाड़ियों को "स्पेयरिंग" नियम के तहत मैच के लिए छुट्टी देता था. ऐसे में धोनी ने "स्पेयरिंग" के तहत एप्पलीकेशन मैच के लिए छु्ट्टी मांगी, लेकिन उस समय के अधिकारी ने छु्ट्टी नहीं दी. धोनी छुट्टी मांग कर कुछ दिन के लिए भूल गए. माही कई दिन बाद ऑफिस गए और जब उन्होंने छुट्टी की बात की, तो उस अधिकारी ने धोनी को अपने कमरे के बाहर करीब तीन-चार घंटे इंतजार कराया. धोनी बेचैनी में कभी बाहर टहलते, तो कभी कुर्सी पर बैठ जाते और जब अधिकारी ने उन्हें भीतर नहीं बुलाया और न ही उनकी छुट्टी को मंजूरी दी, तो एमएस गुस्से में बिना छुट्टी मिले ही रणजी मैच खेलने के लिए रवाना हो गए.
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माही खड़गपुर (Khadagpur) से ऐसे गए कि इस घटना के करीब 17 साल गुजर जानने के बाद भी वह इस शहर में नहीं लौटे हैं, जहां उन्होंने करीब "सक्रिय" रूप से तीन साल तक टीटी की नौकरी की. न धोनी नौकरी के लिए लौटे न ही रेलवे के के पुराने साथियों से मिलने के लिए! शहर छोड़ने के बाद चंद ही सालों में माही की जिंदगी ने बड़ा यू-टर्न लिया और वह टीम इंडिया के लिए खेल रहे थे. भारत के लिए खेलने के बाद धोनी ने रेलवे को अपना इस्तीफा भेजा, लेकिन कई साल तक रेलवे ने धोनी का यह इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. एमएस (MS Dhoni) "बड़े" हो चुके थे! इसी बीच धोनी इंडियन एयरलाइंस ज्वाइन कर चुके थे.
रेलवे ने एक बार फिर से माही को मनाने की कोशिश की और उन्हें रेलवे ज्वाइन करने और खेलने का ऑफर भी दिया, लेकिन एमएस नहीं ही माने. बाद में करीब कई साल धोनी का इंतजार करने और साल 2008 के बाद जाकर रेलवे ने धोनी का इस्तीफा स्वीकार किया. धोनी साथ खड़गपुर स्टेशन पर कई साल काम कर चुके और उनके साथ कई मैच खेल चुके एक साथी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तब से लेकर अभी तक एमएस खड़गपुर वापस नहीं लौटे हैं. यहां के कई प्रतिष्ठित लोगों, बिल्डरों ने कई बार अपने-अपने तरीके से उन्हें खड़गपुर बुलाने की कोशिश की, लेकिन ये सभी कोशिशें बेकार गईं. बहरहाल, खड़गपुर में उनके चाहने वाले और पुराने साथियों को भरोसा है कि कैप्टन कूल का गुस्सा कभी खत्म होगा और वह खड़गपुर जरूर आएंगे. इन लोगों का कहना है कि तब साल 2003 मे ंरेलवे से गुस्सा और खड़गपुर शहर दो अलग बाते हैं!!
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