
मनीष सिसौदिया और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
पर्यावरण सेस को लेकर एनडीटीवी पर दिखाई गई खबर के बाद दिल्ली सरकार जागी है. दरअसल आरटीआई के एक खुलासे ने प्रदूषण से लड़ने को लेकर दिल्ली सरकार की संजीदगी पर सवाल खड़े किए थे. दिल्ली सरकार को मुआवजे के तौर पर 787 करोड़ रुपये मिले थे लेकिन उसने 1 करोड़ भी खर्च नहीं किए.
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अब दिल्ली सरकार पर्यावरण सेस से मिले 787 करोड़ रुपये से इलेक्ट्रिक बसें खरीदेगी. सीएम केजरीवाल ने मंगलवार को इस मुद्दे पर बैठक भी बुलाई थी. एनडीटीवी इंडिया ने मंगलवार को खबर दिखाई थी कि पर्यावरण सेस के नाम पर 2 साल में जमा 787 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को मिले लेकिन उसे खर्च नहीं किया.
दरअसल, अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में दाखिल होने वाले ट्रकों पर एनवायरमेंट कंपनसेशन चार्ज लगाने के आदेश दिए थे. छोटे ट्रकों से 700 और बड़े ट्रकों से 1300 रुपये दिल्ली नगर निगम को वसूलकर दिल्ली परिवहन विभाग को देने थे. इन पैसों का उपयोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने और सड़कों को सुधारने के लिए करना था.
वहीं एक आरटीआई कार्यकर्ता संजीव जैन ने बताया कि दो सालों में दिल्ली सरकार ने ट्रकों से 787 करोड़ 12 लाख 67 हजार रुपये की वसूली लेकिन उसमें से कुछ लाख ही दिल्ली सरकार ने स्टिकर के लिए खर्च किए.
2015 में एनवायरमेंट कंपनसेशन चार्ज से दिल्ली सरकार के खजाने में करीब 50 करोड़ 65 लाख आए और ये रकम 2016 में बढ़कर 386 करोड़ तक पहुंच गई और अब ये कमाई 787 करोड़ 12 लाख तक जा पहुंची है.
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इसमें से दिल्ली सरकार ने पिछले दो साल में जमा हुए खजाने में से महज 0.0011 फीसदी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन के लिए खर्च किया. इससे पहले मंगलवार को एनजीटी ने प्रदूषण के मसले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी. ये भी पूछा कि आपने प्रदूषण कम करने के लिए क्या कदम उठाए कितनी नई बसें जुटाईं.
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अब दिल्ली सरकार पर्यावरण सेस से मिले 787 करोड़ रुपये से इलेक्ट्रिक बसें खरीदेगी. सीएम केजरीवाल ने मंगलवार को इस मुद्दे पर बैठक भी बुलाई थी. एनडीटीवी इंडिया ने मंगलवार को खबर दिखाई थी कि पर्यावरण सेस के नाम पर 2 साल में जमा 787 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को मिले लेकिन उसे खर्च नहीं किया.
दरअसल, अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में दाखिल होने वाले ट्रकों पर एनवायरमेंट कंपनसेशन चार्ज लगाने के आदेश दिए थे. छोटे ट्रकों से 700 और बड़े ट्रकों से 1300 रुपये दिल्ली नगर निगम को वसूलकर दिल्ली परिवहन विभाग को देने थे. इन पैसों का उपयोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने और सड़कों को सुधारने के लिए करना था.
वहीं एक आरटीआई कार्यकर्ता संजीव जैन ने बताया कि दो सालों में दिल्ली सरकार ने ट्रकों से 787 करोड़ 12 लाख 67 हजार रुपये की वसूली लेकिन उसमें से कुछ लाख ही दिल्ली सरकार ने स्टिकर के लिए खर्च किए.
2015 में एनवायरमेंट कंपनसेशन चार्ज से दिल्ली सरकार के खजाने में करीब 50 करोड़ 65 लाख आए और ये रकम 2016 में बढ़कर 386 करोड़ तक पहुंच गई और अब ये कमाई 787 करोड़ 12 लाख तक जा पहुंची है.
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इसमें से दिल्ली सरकार ने पिछले दो साल में जमा हुए खजाने में से महज 0.0011 फीसदी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन के लिए खर्च किया. इससे पहले मंगलवार को एनजीटी ने प्रदूषण के मसले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी. ये भी पूछा कि आपने प्रदूषण कम करने के लिए क्या कदम उठाए कितनी नई बसें जुटाईं.
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