Makar Sankranti 2019: मकर संक्रांति पर क्‍या है तिल का महत्‍व?

खरमास (Kharmas) की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत है मकर संक्रांति (Makar Sankranti). मकर संक्रांति के दिन से ही घरों में शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डुओं (Til Ke Laddu) की भी चर्चा हर घर में होती है.

Makar Sankranti 2019: मकर संक्रांति पर क्‍या है तिल का महत्‍व?

मकर संक्रांति पर क्यों है तिल का इतना महत्व?

नई दिल्ली:

Makar Sankranti 2019: खरमास (Kharmas) की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत है मकर संक्रांति (Makar Sankranti). मकर संक्रांति के दिन से ही घरों में शादी-ब्याह, मुंडन और नामकरण जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. साथ ही इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डुओं (Til Ke Laddu) की भी चर्चा हर घर में होती है. जी हां, उत्तर भारत में खासकर मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन खिचड़ी और तिल के लड्डू (Til Laddu) हर घर में बनते हैं. मान्यता है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन ना सिर्फ तिल खाएं जाते हैं बल्कि इन्हें पानी में डालकर स्नान भी किया जाता है. यहां जानिए मकर संक्रांति पर तिल का क्यों है इतना महत्व.

बता दें, साल 2019 में मकर संक्रांति सोमवार, 15 जनवरी (Monday, 15 January, Makar Sankranti 2019) को मनाई जा रही है. वहीं, हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को लोहड़ी (Lohri) के एक दिन बाद ही मनाई जाती है. इसी के साथ ही इस दिन से सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. इसीलिए मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व बेहद ही खास माना जाता है.

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मकर संक्रांति पर तिल के महत्व की पौराणिक कहानी

एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव को उनके पिता सूर्य देव पसंद नहीं करते थे. इसी कारण सूर्य देव ने शनि देव और उनकी मां छाया को अपने से अलग कर दिया. इस बात से क्रोध में आकर शनि और उनकी मां ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे डाला. 

पिता को कुष्ठ रोग में पीड़ित देख यमराज (जो कि सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र हैं) ने तपस्या की. यमराज की तपस्या से सूर्यदेव कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए. लेकिन सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर 'कुंभ' (शनि देव की राशि) को जला दिया. इससे दोनों को बहुत कष्ट हुआ.

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यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देख उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को समझाया. यमराज की बात मान सूर्य देव शनि से मिलने उनके घर पहुंचे. कुंभ में आग लगाने के बाद वहां सब कुछ जल गया था, सिवाय काले तिल के अलावा. इसीलिए शनि देव ने अपने पिता सूर्य देव की पूजा काले तिल से की. इसके बाद सूर्य देव ने शनि को उनका दूसरा घर 'मकर' मिला. 

तभी से मान्यता है कि शनि देव को तिल की वजह से ही उनके पिता, घर और सुख की प्राप्ति हुई, तभी से मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा के साथ तिल का बड़ा महत्व माना जाता है.

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तिल के लड्डुओं के फायदे
मकर संक्रान्ति के मौकै पर तिल और गुड़ के लड्डू खाए जाते हैं. ये ना सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होते हैं बल्कि यह कई गुणों से भी भरपूर होते हैं. तिल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, आयरन, ऑक्जेलिक एसिड, अमीनो एसिड, प्रोटीन, विटामिन बी, सी और ई होता है. वहीं, गुड़ में भी सुक्रोज, ग्लूकोज और खनिज तरल पाया जाता है. जब इन दोनों का कॉम्बिनेशन मिलता है तो इस लड्डू के गुण और बढ़ जाते हैं...यहां पढ़ें सभी फायदे.

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‘तिला दानम' का महत्त्व
धर्मग्रंथों में तिला दानम को बहुत विशेष बताया गया है. इस दिन दान का विशेष महत्व है, विशेष कर तिल दान का. महिलाएं पूजा करते वक्त सुहाग की निशानियों को चढ़ाती हैं और फिर इन्हें 13 सुहागनों को बांटती हैं.

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