Navratri 2018: नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें मां शैल पुत्री की पूजा, जानिए मंत्र, कवच और स्तोत्र पाठ

नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि मां दुर्गा (Maa Durga) के शैलपुत्री (Shailputri) स्‍वरूप की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

Navratri 2018: नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें मां शैल पुत्री की पूजा, जानिए मंत्र, कवच और  स्तोत्र पाठ

नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.

खास बातें

  • नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री का पूजन होता है
  • शैलपुत्री मां दुर्गा का पहला स्‍वरूप हैं
  • मां शैलपुत्री को पर्वत राज हिमालय की बेटी माना जाता है
नई दिल्‍ली:

नवरात्रि (Navratri 2018) के पहले दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के प्रथम रूप शैलपुत्री (Shailputri) का पूजन किया जाता है. मान्‍यता है कि शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं. नवरात्रि में शैलपुत्री पूजन का विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इनके पूजन से मूलाधार चक्र जाग्रत हो जाता है. कहते हैं कि जो भी भक्‍त श्रद्धा भाव से मां की पूजा करता है उसे सुख और सिद्धि की प्राप्‍ति होती है. 

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कौन हैं मां शैलपुत्री? 
पौराणिक कथा के अनुसार मां शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी (सती) और दक्ष की पुत्री थीं. एक बार जब दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन कराया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया, परंतु भगवान शंकर को नहीं बुलाया गया. उधर, सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थीं. शिवजी ने उनसे कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है लेकिन उन्हें नहीं; ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है. सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी.

सती जब घर पहुंचीं तो वहां उन्होंने भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव देखा. दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक शब्द कहे. इससे सती के मन में बहुत पीड़ा हुई. वे अपने पति का अपमान सह न सकीं और यज्ञ की अग्‍नि से स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया. इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ को विध्वंस कर दिया. फिर यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं.

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मां शैलपुत्री का रूप 
मां शैलपुत्री को करुणा और ममता की देवी माना जाता है.  शैलपुत्री प्रकृति की भी देवी हैं. उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है. शैलपुत्री का वाहन वृषभ यानी कि बैल है. 

कैसे करें शैलपुत्री की पूजा
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नवरात्रि के पहले दिन स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें.
- पूजा के समय पीले रंग के वस्‍त्र पहनना शुभ माना जाता है. 
- शुभ मुहूर्त में कलश स्‍थापना करने के साथ व्रत का संकल्‍प लिया जाता है.
- कलश स्‍थापना के बाद मां शैलपुत्री का ध्‍यान करें. 
- मां शैलपुत्री को घी अर्पित करें. मान्‍यता है कि ऐसा करने से आरोग्‍य मिलता है. 
- नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री का ध्‍यान मंत्र पढ़ने के बाद  स्तोत्र पाठ और कवच पढ़ना चाहिए. 
- शाम के समय मां शैलपुत्री की आरती कर प्रसाद बांटें. 
- फिर अपना व्रत खोलें.

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मां शैलपुत्री ध्‍यान मंत्र
मां शैलपुत्री को इन मंत्रों से प्रसन्‍न किया जाता है: 
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

पुणेन्‍दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्‍बर परिधानां रत्‍नाकिरीटा नामालंकार भूषिता।।

प्रफुल्‍ल वंदना पल्‍लवाधरां कातंकपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावण्‍यां स्‍नेमुखी क्षीणमध्‍यां नितम्‍बनीम्।। 

मां शैलपुत्री  स्तोत्र पाठ 
प्रथम दुर्गा त्वंहिभवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्यदायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहिमहामोह: विनाशिन।
मुक्तिभुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥

शैलपुत्री कवच 
ओमकार: मेंशिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥

श्रींकारपातुवदने लावाण्या महेश्वरी ।
हुंकार पातु हदयं तारिणी शक्ति स्वघृत।

फट्कार पात सर्वागे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥


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