सबरीमाला में प्रवेश करने वाली पहली महिला कनक दुर्गा हुई बेसहारा, 'वन स्टॉप सेंटर' में रहने को मजबूर

सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली 39 साल की महिला कनक दुर्गा अपने घर अस्पताल से वापस लौटीं तो उन्हें अपने घर पर ताला लगा मिला.

सबरीमाला में प्रवेश करने वाली पहली महिला कनक दुर्गा हुई बेसहारा, 'वन स्टॉप सेंटर' में रहने को मजबूर

पेरिन्तलमन्ना:

सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) में प्रवेश करने वाली 39 साल की महिला कनक दुर्गा अपने घर अस्पताल से वापस लौटीं तो उन्हें अपने घर पर ताला लगा मिला. कनक दुर्गा को मंदिर में प्रवेश करने के चलते ससुराल वालों ने बाहर कर दिया था. इस बीच उनकी सास पर उनसे मारपीट के भी आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें कोझिकोडे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा था. अब वो अस्पताल से वापस अपने घर लौटीं तो उन्हें ताला लगा मिला. इसलिए उन्हें फिलहाल 'वन स्टॉप सेंटर' में रखा गया है. 

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 44 वर्षीय कनकदुर्गा ने यहां अदालत में घरेलू हिंसा कानून के तहत एक याचिका भी दायर की है और कहा है कि उन्हें अपने पति के घर में रहने का अधिकार है. 

पुलिस सूत्रों ने बताया कि कनकदुर्गा कोझिकोड चिकित्सकीय महाविद्यालय में उपचार के बाद छुट्टी होने पर अपने पति के घर गई थीं. लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें घर के बाहर ताला लगा मिला. सदियों पुरानी परंपरा तोड़कर मंदिर में प्रवेश करने को लेकर कनकदुर्गा की सास ने उन्हें कथित रूप से पीटा था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर इतिहास बनाने वाली महिला को ससुराल वालों ने घर से निकाला

पुलिस ने बताया कि कनकदुर्गा के पति और उनके संबंधी किराए के एक घर में रहने चले गए हैं. कनकदुर्गा ने यहां 'वन स्टॉप सेंटर' में शरण ली है. उल्लेखनीय है कि अयप्पा मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध था, जिसे उच्चतम न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में हटा दिया था.

इसके बाद नागरिक आपूर्ति विभाग की कर्मी कनकदुर्गा और एक कॉलेज लेक्चरर बिंदु ने दो जनवरी को मंदिर में प्रवेश किया था. वे मंदिर में प्रवेश करने वाली रजस्वला आयु वर्ग की पहली महिलाएं हैं. पेरिन्तलमन्ना सर्किल इंस्पेक्टर टी एस बीनू ने बताया कि कनकदुर्गा को शीर्ष अदालत के आदेशानुसार चौबीस घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है. उनकी सुरक्षा के लिए कम से कम 10 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है और वन स्टॉप सेंटर के बाहर सीसीटीवी से नजर रखी जा रही है.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए 'वन स्टॉप सेंटर' का मकसद व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन में हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मदद मुहैया कराना है.

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