'कैराना का याराना' बीजेपी के लिये बन सकता है चुनौती, यूपी में बदल रहा है सियासी अंकगणित, 10 बड़ी बातें

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से राजनीति बदल रही है और समीकरण के हिसाब से अंकगणित बदल रहा है वो बीजेपी के लिये मुश्किल साबित हो सकता है.

'कैराना का याराना' बीजेपी के लिये बन सकता है चुनौती, यूपी में बदल रहा है सियासी अंकगणित, 10 बड़ी बातें

कैराना में 28 मई को वोटिंग होगी और नतीजे 31 मई को आयेंगे

लखनऊ: गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में विपक्ष को मिली जीत से उत्साहित राष्ट्रीय लोकदल ने घोषणा की है कि वह 28 मई को होने वाले कैराना लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष के पूर्ण समर्थन से मैदान में उतरेगी. राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के टिकट पर सपा की मदद से कैराना लोकसभा उपचुनाव लड़ने जा रहीं तबस्सुम बेगम रालोद में शामिल हो गयीं. यानी कैराना उपचुनाव बीजेपी के मुकाबले सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन होगा. उत्तर प्रदेश में जिस तरह से राजनीति बदल रही है और समीकरण के हिसाब से अंकगणित बदल रहा है वो बीजेपी के लिये मुश्किल साबित हो सकता है.

10 बड़ी बातें

  1. रालोद के प्रान्तीय अध्यक्ष मसूद अहमद ने बताया कि उनकी पार्टी नेकैराना उपचुनाव के लिये तबस्सुम बेगम को टिकट देने का फैसला किया है. इसके लिये तबस्सुम औपचारिक रूप से सपा से रालोद में शामिल हो गयी हैं.

  2. उन्होंने बसपा समेत सभी समान विचारधारा वाले दलों का सहयोग मिलने की पूरी उम्मीद जाहिर करते हुए आशा जतायी कि तबस्सुम विपक्ष की साझा उम्मीदवार बनकर उभरेंगी.

  3. मालूम हो कि सपा भी तबस्सुम को ही कैराना लोकसभा उपचुनाव लड़ाना चाहती थी. बीते शुक्रवार को लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी  के बीच हुई लम्बी मुलाकात में इस पर सहमति बनी थी कि तबस्सुम सपा के बजाय रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी और सपा उनका समर्थन करेगी.

  4. इसके अलावा नूरपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में सपा अपना प्रत्याशी उतारेगी और रालोद उसे समर्थन देगी. इन दोनों ही सीटों पर उपचुनाव 28 मई को होगा और नतीजे 31 मई को आएंगे. 

  5. कैराना लोकसभा सीट पर करीब 17 लाख मतदाता है जिसमें तीन लाख मुस्लिम, चार लाख पिछड़ी जातियां- जाट, गुर्जर, सैनी, कश्यप, प्रजापति और अन्य हैं. इसके अलावा तथा करीब डेढ. लाख दलित मतदाता शामिल हैं. इस संसदीय सीट में पांच विधानसभा सीट शामली, थानाभवन, कैराना, गंगोह और नकुर आते हैं

  6. राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि कैराना उपचुनाव का नतीजा गोरखपुर और फुलपुर की तरह ही होगा. उन्होंने कहा कि हमारा सपा के साथ 2019 में भी गठबंधन जारी रहेगा.

  7. मायावती के खिलाफ सीबीआई जांच के सवाल पर जयंत ने कहा कि चुनाव आते ही जिन्ना और टीपू सुल्तान बीजेपी को याद आ जाते हैं. लोगों के अंदर सरकार को लेकर गुस्सा है और वो सबक सिखाएंगे.

  8. कैराना लोकसभा सीट भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद तथा नूरपुर विधानसभा सीट लोकेंद्र सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में कैराना सीट पर हुकुम सिंह को पांच लाख 65 हजार वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वन्दी सपा के नाहिद हसन को तीन लाख तीस हजार वोट मिले थे.

  9. वहीं नूरपुर विधानसभा सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लोकेंद्र सिंह को 79 हजार वोट प्राप्त हुये थे जबकि सपा के नईमुल हसन को 66 हजार 436 वोट मिले थे.

  10. कैराना और नूरपूर में होने वाले दोनों उपचुनाव के नतीजे सत्तारूढ. पार्टी और विपक्ष के लिये काफी महत्तवपूर्ण होंगे क्योंकि इन्ही नतीजों के आधार पर एक साल से भी कम समय में होने वाले लोकसभा चुनाव की हवा के रूख का कुछ कुछ अंदाजा हो सकेगा. प्रदेश के विपक्षी गठबंधन की एक मजबूत सदस्य बसपा ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह उप चुनाव में चुनाव नहीं लड़ेगी. पार्टी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है.



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)