मॉनसून सत्र: राज्‍यसभा उपसभापति के चुनाव को लेकर कांग्रेस का ये है 'प्‍लान', सरकार का इन विधेयकों को पारित कराने पर होगा जोर, 10 बातें

संसद के मॉनसून सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सांसदों को एक भावुक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर सांसद अतीत में दूसरे दलों के आचरण का हवाला देते हुए व्यवधान को उचित ठहरायेंगे.

मॉनसून सत्र: राज्‍यसभा उपसभापति के चुनाव को लेकर कांग्रेस का ये है 'प्‍लान', सरकार का इन विधेयकों को पारित कराने पर होगा जोर, 10 बातें

फाइल फोटो

नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्रबुधवार से शुरू हो रहा है. जहां सरकार सत्र को सुचारू रूप से चलाने और सत्र में हंगामे की आशंकाओं को देखते हुए सरकार ने विपक्षी दलों से तीन तलाक विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने संबंधी विधेयक, बलात्कार के दोषियों को सख्त दंड के प्रावधान वाले विधेयक समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सहयोग मांगा है. वहीं कांग्रेस ने मानसून सत्र की रणनीति तैयार करने के लिए सोमवार (आज) विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में वे बुधवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र के लिए अपनी रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे. वहीं टीडीपी ने 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में भी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. बजट सत्र में ये प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया था. इसको लेकर आज टीडीपी के सांसद डीएमके, एआईडीएमके और जेडीएस के नेताओं से मुलाकात करेंगे.

10 बातें

  1. संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि मॉनसून सत्र के लिए सूचीबद्ध विधेयक लोकहित के हैं और सरकार इन्हें पारित कराने के लिए विपक्षी दलों से सहयोग का आग्रह करती है. इस बारे में सर्वदलीय बैठक में भी विचार-विमर्श होगा. उन्होंने कहा कि मॉनसून सत्र के दौरान कुछ अध्यादेशों को भी विधेयक के रूप में पारित कराने के लिए पेश किया. तीन तलाक विधेयक सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है. यह विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में लंबित है.

  2. सरकार का जोर अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक को पारित कराने पर भी है. सरकार के एजेंडे में मेडिकल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक और ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़ा विधेयक भी है. मॉनसून सत्र के दौरान आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2018 भी पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. इसमें 12 साल से कम आयु की लड़कियों से बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा, सार्वजनिक परिसर अनधिकृत कब्जा को हटाने संबंधी संशोधन विधेयक 2017, दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2017, जन प्रतिनिधि संशोधन विधेयक 2017, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अमेंडमेंट विधेयक, नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 2018, भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक 2018 को भी चर्चा एवं पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. सत्र के दौरान चर्चा के लिए नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार :दूसरा संशोधन: विधेयक, महत्वपूर्ण बंदरगाह प्राधिकार विधेयक 2016, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय विधेयक 2017, भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक 2013 को भी एजेंडे में रखा गया है. भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक 19 अगस्त 2013 को राज्यसभा में पेश किया गया था. बाद में इसे प्रवर समिति को भेजा गया जिसने 12 अगस्त 2016 को राज्यसभा में रिपोर्ट पेश की थी. यह विधेयक राज्यसभा में पास होने के बाद लोकसभा में पेश किया जा सकता है.

  3. सरकार सत्र के दौरान मानवाधिकार सुरक्षा संशोधन विधेयक, सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक तथा डीएनए प्रौद्योगिकी का उपयोग नियामक विधेयक, बांध सुरक्षा विधेयक, मानव तस्करी रोकथाम, सुरक्षा एवं पुनर्वास विधेयक को विचार एवं पारित कराने के लिए पेश किया जा सकता है.

  4. मॉनसून सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण विषय राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव से संबंधित भी है. इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस इस पद के लिए विपक्ष के उम्मीद को समर्थन दे सकती है. हालांकि किसी पार्टी ने नहीं कहा है कि वह अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है. कयास यह लगाया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं. विपक्ष के उम्मीदवार के नाम पर आमसहमति की संभावना दूर की बात दिखती है क्योंकि विगत में यह पद सत्ताधारी पार्टी के पास रही है. कयास यह भी लगाया जा रहा है कि मुकाबले की स्थिति में भाजपा की अगुवाई में राजग शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल का अपना उम्मीदवार बना सकता है.

  5. मॉनसून सत्र को लेकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में विपक्ष में शामिल प्रमुख दलों के नेता शामिल हो सकते हैं. पी.जे. कुरियन उपाध्यक्ष एक जुलाई को सेवानिवृत्त होने के बाद वे राज्यसभा के उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव के मसले समेत मानसून सत्र की रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे. इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि सरकार मानसून सत्र में चुनाव नहीं करवा सकती है हालांकि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने इस मसले पर अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. 

  6. सत्र के दौरान विपक्ष जम्मू कश्मीर की स्थिति, पीडीपी-भाजपा सरकार गिरने एवं आतंकवाद जैसे मुद्दे उठा सकता है. किसान, दलित उत्पीड़न, राम मंदिर, डालर के मुकाबले रूपये के दर में गिरावट, पेट्रो पदार्थों की कीमतों में वृद्धि जैसे मसलों पर भी विपक्ष सरकार को घेरने का प्रयास करेगा. विपक्ष मॉब लिंचिंग, बैंक धोखाधड़ी, किसानों की दशा और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मसलों को लेकर सरकार को घेर सकती है.

  7. एक महत्वपूर्ण विषय आंध्रप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने का भी हो सकता है जिसके कारण पिछले सत्र में तेलुगु देशम पार्टी ने भारी हंगामा किया था.

  8. वामपंथी दल देश में पीट पीट कर जान लेने और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने की योजना बना रहे हैं और वे इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के लिए भी दबाव बना सकते हैं. माकपा के लोकसभा सदस्य मोहम्मद सलीम ने पीटीआई से कहा, ‘हम संसद के दोनों सदनों में देश में पीट पीट कर जान लेने और सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दों को उठाएंगे.’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार भाजपा-संघ की ‘विभाजनकारी नीतियों’ और राजनीति का समर्थन कर रही है जो देश में हिंसा फैला रहे हैं और माकपा इस पर चर्चा की मांग करेगी.

  9. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने 17 जुलाई को सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है. उन्‍होंने कहा कि इस दौरान मैं कोशिश करूंगी कि अगले दो-तीन दिनों जितने भी दलों से हो सके, अलग अलग बातचीत करूं. उन्होंने कहा कि उनका प्रयास होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित सभी दलों के नेताओं से सहयोग मांगा जाए. सदन के कामकाज में कौन सा विषय लेना है, कब लेना है. यह कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) में तय हो होगा लेकिन सदन का काम ठप नहीं होना चाहिए.

  10. उधर, संसद के मॉनसून सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सांसदों को एक भावुक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर सांसद अतीत में दूसरे दलों के आचरण का हवाला देते हुए व्यवधान को उचित ठहरायेंगे, तब संसद में ‘व्यवधान का चक्र’ कभी खत्म नहीं होगा.  (इनपुट एजेंसी से)