अधीर का सिब्बल पर वार : बंगाल में चुनाव लड़िए, पैसे से मदद कीजिए, AC चेंबर में बैठकर बोलना ठीक नहीं

अधीर रंजन ने कहा, बंगाल में माकपा (CPM) के साथ पहले भी गठबंधन हुआ और आगे भी करेंगे.लेकिन चुनाव में तृणमूल से गठबंधन का कोई सवाल नहीं उठता.

नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar assembly Election) में कांग्रेस (Congress) के निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर पार्टी में उठ रहे विरोध के सुरों के बीच लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chaudhary) ने भी अपनी बात रखी है. अधीर रंजन ने नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) पर हमला बोला है. अधीर रंजन ने सिब्बल को बंगाल (Bengal) में चुनाव लड़ने का न्योता देने के साथ कहा, AC चेंबर में बैठकर बोलना ठीक नहीं है, चुनाव लड़िए और पैसे से मदद कीजिए. ऐसे नेता चाहें तो पार्टी की कानूनी मदद भी कर सकते हैं.

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अधीर रंजन ने NDTV के साथ खास इंटरव्यू में कहा कि चुनाव के बाद आलोचना करना, हम जैसे नेताओं के लिए ठीक नहीं है. कांग्रेस में कद्दावर और बुजुर्ग नेताओं की कोई कमी नहीं है. लेकिन चुनावों में अच्छा नतीजा निकले, इन नेताओं से इसकी कवायद देखने को नहीं मिलती. चुनावों के बारे में प्रवक्ता सब बोल चुके हैं. बिहार में जो सीटें मिलीं उसी पर जंग छेड़ी गई. लेकिन उन सीटों पर उम्मीद कम थी.

विरोध करने का भी एक तरीका होता है...
सिब्बल की टिप्पणी के सवाल पर अधीर रंजन ने कहा, उन्होंने क्या समय चुना, इसकी कोई जानकारी नहीं है. लेकिन विरोध करने का एक तरीका होता है और इस तरह का बयान हम कार्यकर्ताओं को बर्दाश्त नहीं होता. हम बंगाल के चुनाव में कमज़ोर हैं, फिर भी लड़ रहे हैं. ऐसे समय में ऐसा नेता मदद करें तो बढ़िया होगा. पार्टी के पास पैसा नहीं, लेकिन ऐसे लोग बड़े आदमी बन गए. अधीर रंजन पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में कांग्रेस के नेता भी हैं.

सीपीएम से गठबंधन को तैयार पर तृणमूल से नहीं
अधीर रंजन ने कहा, बंगाल में माकपा (CPM) के साथ पहले भी गठबंधन हुआ और आगे भी करेंगे. CPM के प्रकाश करात ने पहले ही साफ कर दिया है कि बंगाल-बिहार एक जैसे नहीं हैं. दीपंकर की बात का खंडन प्रकाश करात ने कर दिया है. लेकिन चुनाव में तृणमूल से गठबंधन का कोई सवाल नहीं उठता.

पार्टी कायदे से नेता का करती है चुनाव
अधीर रंजन ने कहा, राहुल गांधी-सोनिया गांधी ने उन्हें सदन का नेता बनाया. लोकसभा में नेता की जिम्मेदारी के तौर पर मुझे जो महसूस होता है, वह बताने की कोशिश करता हूं. कौन किसका सदस्य है, इसकी राय देने की जरूरत नहीं है. ये तो पार्टी का बड़प्पन है जो छोटे से कार्यकर्ता को पद देती है. इसमें किसी को बुरा लग सकता है. हमारे नेता सोनिया-राहुल हैं. पार्टी कायदे से नेता का चयन करती है. पहले भी गैर गांधी परिवार के बाहर के लोगों ने नेतृत्व दिया है. आगे भी कर सकते हैं. अगर कोई पद पर है तो वो नेतृत्व की हैसियत से है.

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