अमित शाह और मोहन भागवत की मुलाकात : RSS ने सरकार से कहा- जमीन का अधिग्रहण कर राम मंदिर बनाए

बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने सदन में इसको लेकर प्राइवेट बिल पेश करने का फैसला किया है.  

अमित शाह और मोहन भागवत की मुलाकात : RSS ने सरकार से कहा- जमीन का अधिग्रहण कर राम मंदिर बनाए

मुंबई से सटे उत्तन में चल रहा आरएसएस का तीन दिवसीय शिविर (फाइल फोटो)

खास बातें

  • बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने किया है प्राइवेट बिल लाने का ऐलान
  • आरएसएस ने राम मंदिर पर कानून बनाने की मांग
  • सुप्रीम कोर्ट से भी आरएसएस ने की अपील
नई दिल्ली:

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात हुई है. उससे पहले ही  आरएसएस की ओर से मांग की गई है कि सरकार कानून बनाकर जमीन का अधिग्रहण करे और राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करे. वहीं आरएसएस के महासचिव भैया जी जोशी ने कहा, 'हम चाहते थे कि दीपावली के पहले कोई शुभ समाचार मिल जाए लेकिन सर्वोच्च न्यायलय ने सुनवाई अनिश्चिकालीन तक के लिए टाल दिया है. राम मंदिर पर लंबा इंतजार किया जा रह है. हम सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हैं कि इस पर गंभीरता से फिर विचार करे और मामले की सुनवाई करे सबकी इच्छा है कि राम मंदिर बने. यकीन है कोर्ट हमें न्याय देगा. राम मंदिर पर फैसले में हो रही देरी हो रही है. भव्य राम मंदिर सभी की भावना है'.  आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए क़ानून लाने की आरएसएस की मांग के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मुंबई से सटे उत्तन में चल रहे आरएसएस के तीन दिवसीय शिविर में संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने पहुंचे थे.  दूसरी ओर बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने सदन में इसको लेकर प्राइवेट बिल पेश करने का फैसला किया है.  राकेश सिन्हा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए वह एक निजी विधेयक लाएंगे. साथ ही उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी नेता इसका समर्थन करेंगे.  एक के बाद एक ट्वीट कर राज्यसभा सदस्य सिन्हा ने पूछा कि क्या समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और तेदेपा अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता उनके विधेयक को समर्थन देंगे जो भाजपा और आरएसएस से हमेशा राम मंदिर के बारे में पूछते रहते हैं. 

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विपक्ष के नेताओं से पूछा सवाल
सिन्हा ने ट्वीट किया, ‘‘जो लोग भाजपा, आरएसएस को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख़ बताए... उनसे सीधा सवाल क्या वे मेरे निजी विधेयक का समर्थन करेंगे? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का.'' उन्होंने अपने ट्वीट को राहुल गांधी, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद, मायावती से टैग कर दिया. सिन्हा ने पूछा कि अयोध्या में राम मंदिर पर उनके निजी विधेयक का प्रस्ताव क्या ये लोग लिखेंगे ? इस विषय पर तारीख पूछने वाले जवाब भेजें.

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आरएसएस की क्या है मांग
अयोध्या में जल्द से जल्द राम मंदिर निर्माण की पैरवी करते हुए आरएसएस ने बुधवार को कहा कि मंदिर निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर कानून बनाना चाहिए ठीक उसी तरह जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने केंद्र से 1994 में उच्चतम न्यायालय में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में किये गए वादों को पूरा करने का अनुरोध किया. संघ ने कहा कि तत्कालीन सरकार इस बात पर सहमत हो गयी थी कि यदि बाबरी मस्जिद बनने से पहले वहां मंदिर होने के साक्ष्य पाये गये तो वह हिन्दू समुदाय का साथ देगी. संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मुद्दा हिंदू और मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित नहीं है.    

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बीजेपी ने दोहराया संवैधानिक तरीका
बीजेपी ने गुरुवार को कहा कि वह अयोध्या में संवैधानिक तरीके से राम मंदिर के निर्माण को संकल्पबद्ध है. पार्टी ने इस विषय पर निजी विधेयक या किसी अन्य विधायी पहल के बारे में कहा कि भविष्य के किसी विधेयक के बारे में कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है.  पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा संवैधानिक तरीके से राम मंदिर के निर्माण की पक्षधर है. 1989 में पालमपुर अधिवेशन में मंदिर के निर्माण के संबंध में संकल्प लिया था। इसमें कोई संशय नहीं है कि भाजपा राम मंदिर के निर्माण को संकल्पबद्ध है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राम मंदिर पर निजी विधेयक पेश करने की संभावना संबंधी खबरों के मुद्दे पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि निजी विधेयक संसद की सम्पत्ति है. संसद में भविष्य में पेश किये जाने वाले विधेयक के बारे में टिप्पणी करना उनके लिये उचित नहीं है.

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कांग्रेस के विधायक का चौंकाने वाला बयान 
कर्नाटक में कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री रोशन बेग ने गुरुवार को सवाल किया कि राम मंदिर भारत में नहीं बनेगा तो क्या पाकिस्तान में बनेगा? उन्होंने कहा कि मुसलमान अपने हिंदू भाइयों की भावनाओं का सम्मान करते हैं. राम मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश लाने के कथित प्रयास के लिए भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए बेग ने पूछा कि केंद्र में भगवा पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पिछले साढ़े चार साल से क्या कर रही थी. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में चुनाव का माहौल है और अचानक ही उन्होंने (भाजपा) राम मंदिर के बारे में बात शुरू कर दी है...2019 में लोकसभा चुनाव होना है , इसलिए वे बात कर रहे हैं.''    कांग्रेस विधायक ने सवाल किया, ‘‘जब मामला अदालत के सामने है तो वे अध्यादेश लाने के बारे में बात कर रहे हैं. पिछले साढ़े चार साल से वे क्या कर रहे थे?''    

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पी. चिदंबरम ने कहा अध्यादेश असंवैधानिक होगा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने गुरूवार को कहा कि सरकार द्वारा लाया गया कोई भी अध्यादेश या संसद में पारित विधेयक असंवैधानिक होगा क्योंकि मामला विचाराधीन है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में अपील लंबित होने के बीच कोई अध्यादेश या कानून लाया जाना एक ‘‘साहसी कार्रवाई'' होगी.    उन्होंने पत्रकारों से कहा,‘‘मेरे विचार से कोई अध्यादेश लाया जाना असंवैधानिक होगा. इसलिए देखते हैं कि सरकार संवैधानिक स्थिति को पहचानती है या यह एक साहसी कार्रवाई में शामिल होती है. अपील लंबित होने पर एक अध्यादेश लाया जाना एक साहसिक कार्रवाई होगी. यह असंवैधानिक होगा.'' 
 
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मुलायम की छोटी बहू चाहती हैं राम मंदिर
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव 'राम के साथ' हैं और चाहती हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बने.  अपर्णा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय आया है कि सुनवाई जनवरी में होगी तो हमें इंतजार करना चाहिए. उन्होंने कहा, ''मैं चाहती हूं कि राम मन्दिर बने.'' यह पूछे जाने पर कि क्या मस्जिद नहीं बनना चाहिए, अपर्णा ने कहा, ''मैं तो मन्दिर के पक्ष में हूं क्योंकि रामायण में भी राम जन्मभूमि का उल्लेख आता है.'' जब पूछा गया कि क्या आप भाजपा के साथ हैं तो अपर्णा बोलीं, ''मैं राम के साथ हूं.''    

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राकेश सिन्हा राम मंदिर निर्माण के लिए राज्यसभा में प्राइवेट मेम्बर बिल लाने वाले हैं. जब-जब चुनाव का वक़्त आता है ये लोग राम के शरणागत हो जाते हैं. भगवान राम भी इन लोगों का खेल समझने लगे हैं. इसलिए राकेश जी सावधान रहें. ऐसा नहीं कि वोट के लालच में किया जानेवाला उनका यह उपक्रम राम की नाराज़गी का शिकार मत हो जाएं.

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इनपुट : भाषा से भी


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