जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 'मौत से ठन गई'!

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Critical) की हालत बेहद नाज़ुक है. एम्स (AIIMS) में उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया है.

जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 'मौत से ठन गई'!

अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की हालत बेहद नाज़ुक है. एम्स (AIIMS) में उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया है. एम्स की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार बीते 24 घंटे में उनकी हालात और बिगड़ी है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को देखने के लिए नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है. मोदी कैबिनेट के अधिकतर मंत्री एम्स में मौजूद हैं. अटल बिहारी वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) की नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था. हालांकि, अभी भी उनकी हालत नाजुक बनी हुई है.

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आज पूरा देश उनके लिए दुआएं कर रहा है. तो चलिए आज उनकी यह कविता पढ़ते हैं. 

'मौत से ठन गई'... 

ठन गई! 
मौत से ठन गई! 

जूझने का मेरा इरादा न था, 
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, 

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई, 
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई. 
 

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मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, 
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं. 

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, 
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं? 

 
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तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ, 
सामने वार कर फिर मुझे आजमा.

मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र, 

शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर. 
 
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बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं, 

दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं। 

प्यार इतना परायों से मुझको मिला, 
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला. 
 
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हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए, 
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए. 

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है, 
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है. 

पार पाने का क़ायम मगर हौसला, 
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई.

मौत से ठन गई.  
                  - अटल बिहारी वाजपेयी , पूर्व प्रधानमंत्री

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे. भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही. वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वजपेयी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे. वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था. सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया. 

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