भीमा-कोरेगांव हिंसा में 5 लोगों की गिरफ्तारी पर बोलीं अरुंधति रॉय, 'इमरजेंसी की घोषणा होने वाली है'

जानीमानी लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा कि जो कुछ हो रहा है, वह पूरी तरह खतरनाक है. यह बिल्कुल इमरजेंसी की घोषणा होने वाली स्थिति जैसा है.

भीमा-कोरेगांव हिंसा में 5 लोगों की गिरफ्तारी पर बोलीं अरुंधति रॉय, 'इमरजेंसी की घोषणा होने वाली है'

जानीमानी लेखिका अरुंधति रॉय.

नई दिल्ली :

जानेमाने नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और उनके घरों की तलाशी के सिलसिले में कई शहरों में हुई छापेमारी पर कई वकीलों, शिक्षाविदों एवं लेखकों ने आक्रोश व्यक्त किया और इस कार्रवाई की निंदा की. इनमें से कुछ ने इस कार्रवाई को 'बिल्कुल डराने वाला' करार दिया. वहीं, कुछ अन्य ने कहा कि यह 'एक तरह से आपातकाल की घोषणा' है. छापेमारी के बाद जानीमानी लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा कि जो कुछ हो रहा है, वह पूरी तरह खतरनाक है. यह बिल्कुल इमरजेंसी की घोषणा होने वाली स्थिति जैसा है.

अरुंधति रॉय ने बताया, 'एक ही साथ राज्यव्यापी गिरफ्तारियां एक ऐसी सरकार के खतरनाक संकेत हैं, जिसे अपना जनादेश गंवाने और घबराहट में अपने गिरने का डर है. वकीलों, कवियों, लेखकों, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं एवं बुद्धिजीवियों को ऊटपटांग आरोपों में गिरफ्तार किया जा रहा है जबकि भीड़ की शक्ल लेकर हत्या करने वाले, दिनदहाड़े लोगों को धमकाने और उनकी हत्या करने वाले लोग खुला घूम रहे हैं. यह साफ बताता है कि भारत किधर जा रहा है.' उन्होंने कहा कि हत्यारों को सम्मानित और संरक्षित किया जा रहा है जबकि न्याय के लिए बोलने वालों या हिंदू बहुसंख्यकवाद के खिलाफ बोलने वालों को अपराधी बनाया जा रहा है. अरुंधति ने कहा, 'जो कुछ हो रहा है वह निश्चित तौर पर खतरनाक है. 

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जानेमाने वकील प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट में लिखा, 'फासीवादी फन अब खुलकर सामने आ गए हैं.' प्रशांत ने कहा, 'यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है. वे अधिकारों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी शख्स के पीछे पड़ जा रहे हैं. वे किसी भी असहमति के खिलाफ हैं.' चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने पुलिस की कार्रवाई को 'काफी डराने वाला' करार दिया और उच्चतम न्यायालय के दखल की मांग की ताकि आजाद आवाजों पर 'अत्याचार और उत्पीड़न' को रोका जा सके. 

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गुहा ने ट्वीट किया, 'सुधा भारद्वाज हिंसा और गैर-कानूनी चीजों से उतनी ही दूर हैं जितना अमित शाह इन चीजों के करीब हैं.  नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने भी छापेमारियों की कड़ी निंदा की. हाशमी ने ट्विटर पर लिखा, 'महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना, दिल्ली, गोवा में सुबह से ही मानवाधिकार के रक्षकों के घरों पर हो रही छापेमारी की कड़ी निंदा करती हूं. मानवाधिकार के रक्षकों का उत्पीड़न बंद हो. मोदी के निरंकुश शासन की निंदा करती हूं.'

VIDEO : भीमा कोरेगांव मामले में कई जगहों पर छापे



जेएनयू की छात्र नेता शहला राशिद ने आरोप लगाया कि 'मुद्दों को लेकर मुखर लोगों में डर पैदा करने' की कोशिश के तहत यह छापेमारियां की गई हैं. जेएनयू के पूर्व नेता उमर खालिद ने कहा कि अपनी आवाज बुलंद कर रहे लोगों को संदेश देने की कोशिश के तहत छापेमारियां की गई हैं. उन्होंने कहा, '2019 के चुनावों से पहले एक काल्पनिक दुश्मन की भावना प्रकट की जा रही है.' 


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