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This Article is From Oct 01, 2019

रेप आरोपी चिन्मयानंद को अस्पताल से मिली छुट्टी, सीने में दर्द की थी शिकायत

चिन्मयानंद को 23 सितंबर को सीने में दर्द तथा निम्न रक्तचाप की शिकायत के बाद संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था.

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रेप आरोपी चिन्मयानंद को अस्पताल से मिली छुट्टी, सीने में दर्द की थी शिकायत
रेप के आरोपी बीजेपी नेता चिन्मयानंद
लखनऊ:

पूर्व केंद्रीय मंत्री और रेप आरोपी चिन्मयानंद को सोमवार देर शाम संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (PGI) से छुट्टी दे दी गई. PGI द्वारा देर शाम जारी स्वास्थ्य बुलेटिन में कहा गया कि ‘चिन्मयानंद को सोमवार शाम साढे़ छह बजे PGI के हृदय रोग विभाग से छुट्टी (डिस्चार्ज) दे दी गई.' इस बारे में जब PGI के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अमित अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने चिन्मयानंद को अस्पताल से छुट्टी मिलने की पुष्टि की.

चिन्मयानंद को 23 सितंबर को सीने में दर्द तथा निम्न रक्तचाप की शिकायत के बाद संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था. उनकी एंजियोग्राफी की गई, लेकिन कोई ब्लॉकेज नहीं पाया गया. स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं के कारण वह अब तक अस्पताल में ही भर्ती थे.

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बता दें, इससे पहले चिन्मयानंद तथा उनसे रंगदारी मांगने कि आरोपी पीड़ित छात्रा की जमानत अर्जी को जिला एवं सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया था. जिला सत्र न्यायालय के शासकीय अधिवक्ता अनुज कुमार सिंह ने बताया था कि जिला एवं सत्र न्यायालय में चिन्मयानंद की जमानत की अर्जी पर सुनवाई हुई जिसे जिला न्यायाधीश रामबाबू शर्मा ने सुना. उन्होंने बताया कि दोनों की जमानत याचिका को जिला सत्र न्यायालय ने निरस्त कर दिया गया. वहीं चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने बताया की अब वह मामले की अपील इलाहाबाद उच्च न्यायालय में करेंगे.

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वहीं पीड़ित छात्रा के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने बताया था कि चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान शासकीय अधिवक्ता ने यह तर्क भी सामने रखा कि चिन्मयानंद जब पीड़िता से मालिश करवाते थे और जब पीड़िता इसका विरोध करती थी तब उसके साथ बल प्रयोग किया जाता था.

त्रिवेदी ने बताया कि ऐसे में जहां पर बल प्रयोग किया जाता है उस मामले में धारा 376 ही लगाई जाती है ना कि 376 (सी) लगाई जाती है. त्रिवेदी ने बताया था कि पीड़िता की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान उनका कहना था कि जो रंगदारी का वीडियो पहले वायरल किया गया था उसके दो हिस्से बनाए गए पहले हिस्से को वायरल कर दिया गया और उसी वीडियो का दूसरा हिस्सा 26 सितंबर को वायरल किया गया और इस वीडियो में छेड़छाड़ (टेंपरिंग) की गई है.

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वहीं दूसरी और पीड़ित छात्रा ने जेल में बंद होने के दौरान जेल अधीक्षक के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र CGM की अदालत में भेजा था जिसमें पीड़िता ने कहा था कि वह स्वयं उपस्थित होकर अदालत में अपनी बात रखना चाहती है क्योंकि वह स्वयं अधिवक्ता है, जिसे न्यायालय ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामले की जांच विशेष जांच दल विशेष जांच दल (SIT) कर रही है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय इसकी निगरानी कर रहा है.

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